एक तरफ परीक्षा के भय से बच्चों को मुक्त करने के लिए नो डिटेंशन नीति लायी गयी तो दूसरी ओर सेमेस्टर प्रथा लागू कर परीक्षा के दबाव को थोपा गया. जो सरकारी कथन में ही विरोधाभास को बताता है. उक्त बातें एआइडीएसओ के प्रांतीय अध्यक्ष सूर्यकर जितेंद्र व सचिव अनिल कुमार ने मंगलवार को संयुक्त रूप से मोतीझील स्थित कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में कहीं.
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8वीं पास-फेल प्रथा खत्म होने से शिक्षा में गिरावट : एआइडीएसओ
मुजफ्फरपुर: 8वीं कक्षा तक पास फेल प्रथा को समाप्त करने से शिक्षा के स्तर पर जबरदस्त गिरावट आयी है. विगत दिनों मानव संसाधन मंत्रालय की रिपोर्ट में भी यह बात सामने आयी है कि 5वीं कक्षा के अधिकांश बच्चे गणित के सरल सवाल नहीं बना पाते हैं. पाठ्य पुस्तकों के पठन भी बहुत कमजोर पाये […]
मुजफ्फरपुर: 8वीं कक्षा तक पास फेल प्रथा को समाप्त करने से शिक्षा के स्तर पर जबरदस्त गिरावट आयी है. विगत दिनों मानव संसाधन मंत्रालय की रिपोर्ट में भी यह बात सामने आयी है कि 5वीं कक्षा के अधिकांश बच्चे गणित के सरल सवाल नहीं बना पाते हैं. पाठ्य पुस्तकों के पठन भी बहुत कमजोर पाये जा रहे हैं.
उन्होंने कहा, 8वीं फेल प्रथा को पुन बहाल करने, शिक्षा के निजीकरण-व्यापारीकरण, सेमेस्टर प्रथा, नैक शुल्क में वृद्धि जैसे सवालों को लेकर एआइडीएसओ का 7वां राज्य सम्मेलन मुजफ्फरपुर में 26 व 27 मार्च को होगा. 26 को बीबी कॉलेजियट मैदान में खुला सत्र व 27 को आरडीएस कॉलेज में प्रतिनिधि सत्र का आयोजन होगा.
प्रेसवार्ता में छात्र नेताओं ने कहा कि नीतीश सरकार ने साइकिल-पोशाक योजना तो चलायी लेकिन पठन-पाठन के माहौल को ठीक नहीं कर पायी. शिक्षा बजट में काफी कटौती हुई है. सभी शिक्षण संस्थानों में आवश्यक उपकरण, शिक्षकों की भारी कमी है. ऐसे में तमाम शैक्षणिक समस्याओं के समाधान के लिए छात्र आंदोलन के सिवा और कोई रास्ता नहीं है.
प्रेसवार्ता के दौरान राज्य कमेटी कार्यालय सचिव पुष्पा कुमारी, सदस्य विजय कुमार, शिव कुमार, जिलाध्यक्ष आशुतोष कुमार, सचिव लाल बाबू, रवि रंजन, श्रवण कुमार आदि छात्र नेता मौजूद थे.
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