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शमीम हत्याकांड : गवाह बन सकता है शंभू!

मुजफ्फरपुर: शमीम हत्याकांड में फरार चल रहे अनिल ओझा का गार्ड शंभु सिंह सरकारी गवाह बन सकता है. बताया जाता है कि एक से दो दिनों के अंदर वह कोर्ट में आत्मसर्मपण करेगा. सारण जिले के अमनौर निवासी शंभु सिंह सेना से रिटायर्ड है. हालांकि पुलिस वारंट निर्गत होने के बाद उसके घर कुर्की की […]

मुजफ्फरपुर: शमीम हत्याकांड में फरार चल रहे अनिल ओझा का गार्ड शंभु सिंह सरकारी गवाह बन सकता है. बताया जाता है कि एक से दो दिनों के अंदर वह कोर्ट में आत्मसर्मपण करेगा. सारण जिले के अमनौर निवासी शंभु सिंह सेना से रिटायर्ड है. हालांकि पुलिस वारंट निर्गत होने के बाद उसके घर कुर्की की तैयारी में जुट गयी है. पुलिस का कहना है कि कोर्ट से आदेश प्राप्त होते ही उसके घर की कुर्की की जायेगी. हालांकि पटना में तैनात एक दारोगा भी उसके आत्मसर्मपण का प्रयास कर रहे है. चार माह से प्राइवेट तौर पर अंगरक्षक के रुप में अनिल ओझा के साथ तैनात था. उसकी बंदूक की

बरामदगी भी पुलिस के अहम है. शमीम हत्याकांड में उसी का लाइसेंसी बंदूक इस्तेमाल होने की बात सामने आयी थी. हालांकि घटना के 20 दिन बाद भी वह पुलिस के पकड़ में नहीं आया है. उसकी तलाश में पुलिस ने पटना व सारण जिले में छापेमारी की थी. कम्युनिटी हॉल से पुलिस ने गार्ड का लाइसेंस, कारतूस सहित अन्य सामान बरामद की थी.

दूसरे दिन भी नहीं लिया रिमांड
वार्ड पार्षद संजय पासवान व बबन देव को दूसरे दिन भी विवि पुलिस रिमांड पर नहीं ले सकी है. संभावना जतायी जा रही है कि गुरुवार को दोनों से पूछताछ की जायेगी. 1 अगस्त को हत्या को अंजाम देने के बाद अनिल ओझा के साथ बबन देव भी फरार हुआ था. यहां बता दें कि सोमवार को विवि थानाध्यक्ष राम बालक यादव ने जेल में बंद संजय पासवान व बबन को पूछताछ के लिए रिमांड पर लेने का आवेदन दिया था. दिये गये आवेदन में बताया गया था कि समस्तीपुर जिला के बरहेता निवासी बबन देव व संजय पासवान 16 अगस्त को कोर्ट में सर्मपण किया है. इन दोनों से पूछताछ करना जरूरी है. दोनों आरोपितों से हत्याकांड में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है. सीजेएम ने रिमांड पर लेने का आदेश देते हुए जेल अधीक्षक को आरोपितों का मेडिकल जांच कराने को कहा है.

यह था मामला
एक अगस्त की शाम पौने पांच बजे छात्र जदयू के नेता शमीम की चार सशस्त्र अपराधियों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी. घटना को अंजाम देने के बाद अपराधी पैदल ही फरार हो गये थे. आक्रोशित छात्रों ने जम कर तोड़-फोड़ करते हुए चाय दुकान व गुमटी को जला दिया था. वही इस मामले में मृतक के पिता रहीम खान ने अनिल ओझा व राम कुमार को नामजद करते हुए प्राथमिकी दर्ज करायी थी. पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 36 घंटे के अंदर कुर्की की प्रक्रिया को पूरा किया था.

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