मुजफ्फरपुर: निलंबित मोबाइल दारोगा (प्रवर्त्तन अवर निरीक्षक ) मो युनूस को विभागीय कार्रवाई के तहत बरखास्त किया गया. विभाग ने यह कार्रवाई मो युनूस पर आर्थिक अपराध इकाई पटना के लगाए गए आरोप के प्रमाणित होने पर की है. साथ ही विभागीय कार्रवाई के संचालन पदाधिकारी के जांच प्रतिवेदन में लगाये गये सभी मामले सही पाये गये हैं.
मो युनूस पर अपने पद का दुरुपयोग कर अकूत संपत्ति जमा करने का आरोप है. सकरा स्थित युनूस के आवास पर आर्थिक अपराध इकाई ने 20 फरवरी को छापेमारी की थी. जिसमें करीब 5.12 करोड़ की संपत्ति मिली थी.
इसके आधार पर आर्थिक अपराध इकाई थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. निलंबन के बाद युनूस पर विभागीय कार्रवाई शुरू की गई थी. जिसमें विभाग ने दो बार युनूस को अपना पक्ष रखने का समय दिया था. लेकिन युनूस अपना पक्ष रखने में टाल मटोल का रवैया अपनाते रहे. इसके बाद विभाग ने एक बार और पक्ष रखने का समय दिया. लेकिन युनूस ने फिर से पुरानी गलती दोहराते हुए टाल मटोल करते रहे. इस टाल मटोल के पीछे कारण यह था कि युनुस 31 जुलाई 2013 को सेवानिवृत्त होने वाले थे. वह चाहते थे किसी तरह उनके सेवानिवृत्ति तक मामला दबा रहे. इतना ही नहीं, इस दौरान युनूस ने विभागीय कार्रवाई को भी रोकने के लिए माननीय उच्च न्यायालय पटना में याचिका दायर की, जिसे हाइ कोर्ट ने खारिज कर दिया. हाइकोर्ट से अपील खारिज होते ही परिवहन विभाग के प्रधान सचिव सह राज्य परिवहन आयुक्त ने 31 जुलाई 2013 को मो युनूस के बरखास्तगी की अधिसूचना जारी कर दी.