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फिर तूल पकड़ा उत्तर पुस्तिका घोटाला मामला
मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विवि में करोड़ों रुपये की उत्तर पुस्तिका घोटाला मामले ने शुक्रवार को एक बार फिर तूल पकड़ा. बताया जाता है कि विवि प्रशासन गलियारे में चर्चा थी कि विवि प्रशासन उत्तर पुस्तिकाओं की आपूर्ति करने वाली पटना की कंपनी केंद्रीय भंडार को दो करोड़ रुपये भुगतान की प्रक्रिया में जुटा था. […]
मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विवि में करोड़ों रुपये की उत्तर पुस्तिका घोटाला मामले ने शुक्रवार को एक बार फिर तूल पकड़ा. बताया जाता है कि विवि प्रशासन गलियारे में चर्चा थी कि विवि प्रशासन उत्तर पुस्तिकाओं की आपूर्ति करने वाली पटना की कंपनी केंद्रीय भंडार को दो करोड़ रुपये भुगतान की प्रक्रिया में जुटा था.
सूचना पर इस मामले के याचिकाकर्ता महंथ राजीव रंजन दास के साथ कुछ लोग कुलपति से मिलने पहुंचे. तकरीबन आधा घंटा तक इस मुद्दे पर कुलपति से उनकी वार्ता हुई. कुलपति डॉ पंडित पलांडे ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है. भुगतान की प्रक्रिया शुरू करने की बात सुनी-सुनाई हो सकती है. मौके पर कुलानुशासक डॉ एके श्रीवास्तव आदि कई अधिकारी मौजूद थे.
क्या है मामला
बताया जाता है कि विवि की विभिन्न परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिका, टीआर एवं अंक पत्र आवंटन का ठेका दिशा इंटरप्राइजेज और जेपी प्रिंटर को वर्ष 2013 तक वैध रहने के बावजूद तत्कालीन कुलपति डॉ विमल कुमार और कुलसचिव डॉ एपी मिश्र ने बोरिंग रोड पटना के केंद्रीय भंडार से नया अनुबंध कर लिया था. यह अनुबंध कंप्यूटरीकृत उत्तर पुस्तिका, टीआर व अंक पत्र देने के नाम पर किया गया था.
इसके विरुद्ध दिशा इंटरप्राइजेज और जेपी प्रिंटर ने कई अधिकारियों के समक्ष अपना दावा प्रस्तुत किया. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. बाद में राजभवन, न्यायालय व विजिलेंस में एग्रीमेंट का हवाला देते हुए न्याय की गुहार लगायी.
उधर, केंद्रीय भंडार पहले करीब छह लाख, फिर दो लाख उत्तर पुस्तिकाओं की आपूर्ति कर चुका था. जब पैसा भुगतान में विलंब हुआ तो उसके अधिकारियों ने भी धैर्य छोड़ विवि प्रशासन के विरु द्ध अपना दावा ठोंक दिया. मामले को गंभीरता से लेते हुए महामहिम कुलाधिपति ने कंपनी को भुगतान रोक कर इसकी जांच के लिए सेवानिवृत्त आइएएस अफसर बीबी लाल कमेटी को जिम्मेदारी सौंपी. इस मामले में कमेटी ने अक्तूबर 2013 में एक-एक संचिकाओं को खंगाला. पूर्व कुल सचिव डॉ विभाषा कुमार यादव, डॉ एपी मिश्र व तत्कालीन कुलपति डॉ विमल कुमार लपेटे में आये. उस दौरान मौजूद कुलपति डॉ रवि वर्मा (अब रिटायर) और कुलसचिव डॉ विवेकानंद शुक्ला से गहन पूछताछ की गयी थी. बाद में बीबी लाल कमेटी ने करीब 80 पेज की अपनी रिपोर्ट राजभवन को सौंप दी. जिसमें कई अधिकारियों की संलिप्तता सामने आयी थी.
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