मुजफ्फरपुर: शहरी क्षेत्र की आधी आबादी को बिजली मुहैया कराने वाला बेला फीडर एक बार फिर 12 घंटे तक ब्रेक डाउन में फंसा रहा. बुधवार रात नौ बजे से गुल बिजली सुबह नौ बजे के बाद बहाल हुई. बेला फीडर से जुड़े बेला, मिस्कॉट व चंदवारा फीडर से जुड़े दर्जनों मोहल्लों में दिन भर बिजली व पानी के लिए हाहाकार मचा रहा.भीषण गरमी में बत्ती गुल रहने से लोग रतजगा करने पर मजबूर हुए.
जानकारी के अनुसार, बेला फीडर (33 केवी) का जंफर कट जाने के कारण लोगों को बिजली त्रसदी ङोलनी पड़ी. स्थानीय लोगों ने बताया कि रात में सही तरीके से पेट्रोलिंग नहीं होने से रात में बिजली बहाल नहीं हो पायी. गौरतलब है कि गरमी का मौसम आते ही बेला फीडर की स्थिति दयनीय हो गयी है. पिछले एक महीने में एक दर्जन बार से अधिक बार फीडर के तार टूटने, जंफर गलने व पोल टूटने के कारण आपूर्ति ठप हुई है. इसके कारण लोग लगातार बिजली संकट ङोलने को विवश है.
बिजली समस्या से लोग परेशान
डेयरी फीडर भी बुधवार को दिन में तीन घंटे तक ब्रेक डाउन में रहा. वहीं एसकेएमसीएच पावर स्टेशन से जुड़े जीरोमाइल फीडर में ट्रांसफॉर्मर बदले जाने के कारण दिन में इसे शट डाउन में रखा गया था. कल्याणी सबस्टेशन में बिजली की समस्या से लोग परेशान रहे. बीएमपी-6 चौक स्थित ट्रांसफॉर्मर में खराबी आ जाने से इससे जुड़े मोहल्लों में दिन भर बत्ती गुल रही. खबरा स्टेशन से जुड़े इलाकों के उपभोक्ता भी लो वोल्टेज की समस्या से परेशान रहे.
फीडर पर क्षमता से अधिक लोड
बेला फीडर पर क्षमता से 10 मेगावाट अधिक लोड है. 33 केवीए लाइन में लगे डॉग कंडक्टर की बिजली ढोने की अधिकतम क्षमता 18 मेगावाट है. जबकि इस फीडर पर वर्तमान में 27 मेगावाट से अधिक लोड है. इसके कारण शाम (पीक ऑवर) में फीडर के ब्रेक डाउन में जाना तय माना जाता है. शहर के सबसे अधिक लोडेड पीएसएस (पावर स्टेशन) इसी से जुड़े हुए हैं.
तकनीकी जानकारों के अनुसार बेला फीडर में वूल्फ कंडक्टर लगाने से समस्या का स्थायी समाधान होगा. 132 केवीए लाइन में लगने वाले इस तार की क्षमता 34 मेगावाट बिजली ढोने की है.