निराला निकेतन में महाकवि स्मरण का आयोजनवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर : आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री विराट व्यक्तित्व के कवि थे, जिन्होंने गद्य में बड़ा काम किया था. राधा महाकाव्य व हंस बलाका जैसी महत्वपूर्ण रचनाएं आज भी हमारे लिए महत्वपूर्ण है. जिसे बचाए रखना हर साहित्यकार का नैतिक दायित्व है. उक्त बातें बेला के संपादक डॉ संजय पंकज ने बुधवार को महावाणी स्मरण में कही. उन्होंने कहा कि महाकवि आलोक की पवित्रता व संगीत की संवेदना गीतों में सहेजते रहे. डॉ विजय शंकर मिश्र ने आचार्य श्री के गीत जीवन मधु की कौन बूंद निष्प्राण है, कौन मौन क्षण अपने में सुनसान है, सुना कर लोगों को मुग्ध कर दिया. डॉ रश्मिरेखा ने अक्षर के महत्व को इन पंक्तियों में उजागर किया. अपने गहरे एकांत में, बहुत आत्मीय बातें करती हैं किताबें. श्यामल श्रीवास्तव ने समय की त्रासदी का बयान कविता सुना कर लोगों की तालियां बटोरी. मीनाक्षी मीनल ने बुजुर्गों की उपेक्षा पर संवेदनात्मक अभिव्यक्ति दी. इस मौके पर इ.सत्यनारायण मिश्र, डॉ शैल केजरीवाल, राजमंगल पाठक, अमरनाथ मेहरोत्रा, उदय नारायण सिंह, नागेंद्र नाथ ओझा, गणेश सारंग, अभिनय सरस, अंजनी पाठक, राम तपन सिंह, रत्नानंद झा, नंद कुमार आदित्य, रमेश प्रेमी, हरि किशोर प्रसाद सिंह, शुभ्रा सौम्या की कविताएं भी सराही गयी.
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संगीत की संवेदना को सहजते रहे महाकवि
निराला निकेतन में महाकवि स्मरण का आयोजनवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर : आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री विराट व्यक्तित्व के कवि थे, जिन्होंने गद्य में बड़ा काम किया था. राधा महाकाव्य व हंस बलाका जैसी महत्वपूर्ण रचनाएं आज भी हमारे लिए महत्वपूर्ण है. जिसे बचाए रखना हर साहित्यकार का नैतिक दायित्व है. उक्त बातें बेला के संपादक डॉ संजय […]
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