मुजफ्फरपुर: एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम से जो बच्चे शिकार हुए हैं. उनमें से अधिकांश बच्चे दलित वर्ग के थे. जाति के कैटेगरी के आधार पर निकाले गये रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई है. एसकेएमसीएच व केजरीवाल अस्पताल में दम तोड़ने वाले अधिकतर बच्चे वैसे परिवार के थे, जिनके रहन-सहन में सफाई नहीं थी. उन बच्चों के घर के आसपास गंदगी, बगीचे व मैदान थे.
स्वास्थ्य विभाग ने पहली बार जातिगत आधार पर आंकड़ों को इकट्ठा किया है. इसका उद्देश्य जातिगत आधार पर रहन-सहन, खान-पान व जीवन शैली का अध्ययन करना है. दिल्ली के नेशनल सेंटर फॉर कंट्रोल डिजीज व अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के विशेषज्ञों ने भी एइएस बच्चों के शिकार हुए परिवारों में समानता का अध्ययन कर रहे हैं. विशेषज्ञों को उम्मीद है कि शायद इससे वायरस या बैक्टीरिया की पहचान हो सकती है.
एइएस से पीड़ित होने वाले बच्चों में सबसे अधिक संख्या दलित वर्ग के बच्चे की रही. उसके बाद पिछड़ी जाति के बच्चे शामिल रहे. हालांकि सामान्य जाति के बच्चों की संख्या सबसे कम रही. स्वास्थ्य विभाग की ओर से पहली बार ऐसी रिपोर्ट तैयार की गयी है. इसका उद्देश्य विभिन्न समुदायों के रहन-सहन व बीमारी से संबंधों का पता लगाना है. इस वर्ष इस बीमारी से 161 बच्चे एसकेएमसीएच व केजरीवाल अस्पताल में भरती किये गये थे.