मुजफ्फरपुर: जदयू के तीन विधायकों के सदस्यता रद्द होने के बाद जिले के राजनीतिक समीकरण में बड़ा उलेट हो गया है. तीनों का भाजपा में शामिल होना तय माना जा रहा है. राजनीतिक जानकारों के अनुसार तीनों टिकट की शर्त पर ही भाजपा का दामन थाम सकते हैं.
इससे भाजपा के उन नेताओं झटका लगा है, जो पहले से टिकट मिलने की आस लगाये बैठे है. कांटी विधान सभा क्षेत्र से भाजपा जिलाध्यक्ष अरविंद कुमार सिंह पूर्ण अश्वस्त है कि उन्हें ही उम्मीदवार बनाया जायेगा. इसके लिए वे संघ का भी आशीर्वाद होने की बात बताते है. इसके अलावा पूर्व प्रखंड अध्यक्ष राजेंद्र पाडेंय, जिनके कार्यकाल में अरविंद सिंह महामंत्री हुआ करते थे. वे भी टिकट के दावेदार है. मजदूर मोरचा के जिलाध्यक्ष अशोक पाडेंय, पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष अरविंद प्रसाद सिंह भी उम्मीदवारी के दौड़ में माने जा रहे हैं. इस स्थिति में यदि अजीत कुमार को भाजपा का प्रत्याशी बनाया जाता है, तो उन्हें भीतर घात का भी सामना करना पड़
सकता है.
साहेबगंज में अंजू रानी, महिला मोरचा के जिलाध्यक्ष गीता कुमारी, प्रदेश परिषद सदस्य राम शब्द सिंह, जिला उपाध्यक्ष राम निवास सिंह भी टिकट के दौड़ में है. भाजपा में राजू कुमार सिंह राजू यदि शामिल होकर उम्मीदवार बनते है, तो उनकी भी कड़ी परीक्षा होगी. यदि यह सीट महागंठबंधन में जदयू के कोटे में जाता है तो हरिकिशोर सिंह प्रवल दावेर के रूप में है, जो हाल में ही जदयू में शामिल हुए है. दोनों के स्वजातीय होने के कारण वोट में बिखराव होने की संभावना भी बनेगी. इस स्थिति में इस बार का चुनाव राजू सिंह के लिए अग्नि परीक्षा होगी.
सकरा विधानसभा से चुनाव लड़ने के लिए पूर्व विधायक बिलट पासवान जदयू छोड़ कर भाजपा में शामिल हो चुके है. वैसे भाजपा महादलित मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष अजरुन राम व 1995 में भाजपा से भाग्य अजमा चुके राम श्रेष्ठ पासवान, भाजपा के सदस्यता प्रभारी सह मुखिया मनोज बैठा भी यहां से टिकट के दावेदार है. यदि सुरेश चंचल को भाजपा उम्मीदवार बनाया गया तो उनके लिए भी चुनौती होगी.
मीनापुर के जदयू विधायक दिनेश कुशवाहा पार्टी के बागी के रूप में बगावत पर हैं. अपने पार्टी के सरकार व दल के शीर्ष नेताओं के विरुद्ध प्रहार करते रहते है. जिससे यह माना जा रहा है कि वे भी भाजपा में शामिल होंगे और इस बार अपनी विरासत अपने पुत्र को सौंपते हुए भाजपा के टिकट पर मीनापुर से उम्मीदवार बनायेंगे. इस क्षेत्र में पहले से ही कई नेता चुना लड़ने की तैयारी कर रहे है, जिसमें अतिपिछड़ा मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष केदार सहनी, मत्सय जीवी मंच के प्रदेश महामंत्री बिदेश्वर सहनी, पूर्व मंडल अध्यक्ष कैलाश प्रसाद (कुश्वाहा) शमिल है. वैसे डॉ भगवान लाल सहनी जो दो बार लोक सभा चुनाव में भाग्य अजमा चूके है, वे फिर से अपने पुराने घर भाजपा में शमिल होकर विधान सभा में यहां से भाग्य अजमाना चाह रहे है. रालोसपा भी इस सीट पर दावा कर रही है. इसके सशक्त उम्मीदवार विनोद कुशवाहा बताये जाते है, जो उपेंद्र कुश्वाहा के सबसे करीब माने जास रहे है. इस स्थिति में दिनेश कुश्वाहा को अपने पुत्र के लिए कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ेगा.