* बागमती की बौराई धारा का तांडव
हरखौली (मुजफ्फरपुर) : गांव से शैलेंद्र/अजीत देवन राय, सुरेंद्र राय व महेंद्र राय ने सालों पहले जिस आशियाने पाई–पाई जोड़ कर बनाया था, उसे पिछले तीन–चार दिनों से उजाड़ रहे हैं.
परिजनों के साथ मजदूरों को भी मदद के लिए लगा रखा है, ताकि जिनता जल्दी हो सके. घर की ईंट व अन्य सामान निकाल लें. इनके साथ गया राय, विजन राय, लक्ष्मी देवी, जितेंद्र राय व उपेंद्र राय भी अपने घरों का बचा सामान समेटने में लगे हैं. इन लोगों को अपने ही हाथ अपना घर तोड़ने के लिए मजबूर किया है बागमती की बौराई धारा ने, जो पिछले सात दिनों से लगातार कटाव कर रही है.
अब तक आधा दर्जन घर इसकी धारा में समा चुके हैं. सूचना पर तीन दिन पहले डीएम अनुपम कुमार पूरे अमले के साथ पहुंचे थे. तत्काल कटाव निरोधी काम करने का निर्देश दिया. कुछ काम हुआ, लेकिन इसके बाद जल संसाधन के कर्मचारी चले गये. गांववालों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया.
बागमती की धारा सप्ताह भर में पच्चीस से तीस फुट तक कटाव कर चुकी है. पानी कम होने के बजाय बढ़ता जा रहा है. हालात यह है, कल तक जहां किलकारियां गूंजती थी. वहां से अब बागमती की धारा बह रही है. देवन राय कहते हैं, तीन हैंडपंप बागमती में समा गये हैं. अब पीने के पानी का भी आसरा नहीं.
वह दिखाते हैं, कल तक यहीं पर खाना बना, लेकिन आज रसोई को उजाड़ना पड़ा, क्योंकि कभी भी वह धारा में समा सकती है. पास में खड़े सुरेंद्र राय कहते हैं, अगर जल संसाधन विभाग की ओर से काम किया गया होता. डीएम साहब का आदेश माना गया होता तो यह हालत नहीं होती. नदी की धारा अब हम लोगों को हर पल डरा रही है, पता नहीं कब कब हमारा घर विलीन हो जाये.
सुरेंद्र राय की पत्नी सीता देवी घर का बचा सामान समेटने में लगी हैं. कहती हैं, हम लोग 1987 से यहां रह रहे हैं. अब कहां जायें समझ में नहीं आ रहा है. सीता प्रशासन पर अपना गुस्सा उतारती हैं. कहती हैं, हम मुसीबत में है, लेकिन कोई देखने नहीं आ रहा. इस बीच नीव से ईंट निकालने में लगा एक मजदूर बोल पड़ता है, काहे का प्रशासन. सब मनमानी कर रहा है. कुछ अन्य मजदूर घरों से निकली ईंट ट्रैक्टर में लाद रहे हैं. कहते हैं, सुरक्षित स्थान पर ले जायेंगे.
आगे देखा जायेगा. पास में कई और ट्रैक्टर खड़े हैं. कुछ पर सामान है. एक पर मवेशियों को खिलाने का भूसा लादा जा रहा है. देवन राय की पत्नी कहती हैं. पहले जहां बूसा रखा था. वहां अब नदी की धारा बह रही है. हटा कर दरवाजे पर लाये थे, लेकिन अब यहां भी सुरक्षित नहीं है, जहां कल तक मवेशी बांधे जाते थे. उसे रसोई बनाना पड़ा है. वहीं, पर खाना बन रहा है.
बागमती के निशाने पर इस बार हरखौली गांव के लगभग 150 घर हैं. अगर कटाव ऐसे ही जारी रहा तो अगले कुछ दिनों में गांव के अस्तित्व पर ही खतरा उत्पन्न हो सकता है. देवन राय के घर के पास ही खड़ंजा बना है. इस पर 2007 का शिलापट्ट लगा है, जिस पर लिखा है, विधायक ने उद्घाटन किया था. विधायक का नाम शिलापट्ट से मिट गया है. पूछने पर पास में खड़ा एक युवक कहता है, महेश्वर यादव ने इसे बनवाया था. कल (शुक्रवार) को वह हम लोगों का हाल लेने के लिए आये थे, लेकिन अभी तक हमारी विधायक वीणा देवी ने सुधि नहीं ली है.
देवन राय की उम्र साठ साल से ज्यादा हो चुकी है. उनके नाती–पोते हैं. कहते हैं, जब हम लोग छोटे थे, तब बागमती की धारा लगभग दो सौ मीटर दूर बहती थी. पहले जहां से होकर नदी बहती थी, अब वहां बाग हो गयी है. धीरे–धीरे धारा हमारे घरों की ओर बढ़ी. अब हमारे अस्तित्व पर ही संकट है. वहीं, गया राय कहते हैं, हम लोगों के सामने आर्थिक संकट है, क्योंकि फसल पहले ही बाढ़ से नष्ट हो चुकी है. अब घर भी जा रहा है. ऐसे में हमारे पास कुछ भी नहीं है. बच्चे कहां रहेंगे? क्या खायेंगे? यह बड़ा सवाल है?
कटाव की सूचना हमने जल संसाधन विभाग व वरीय पदाधिकारियों को दे दी है. एसडीओ पूर्वी ने भी कटाव स्थल का निरीक्षण कर डीएम को जानकारी दी. डीएम खुद स्थल पर आकर जल संसाधन विभाग को कटाव निरोधी कार्य करने का आदेश दिया. जल संसाधन विभाग ने दो दिन काम करने के बाद अपने हाथ खड़ा कर दिये. – अंचलाधिकारी, भरत भूषण
* आधा दर्जन गांव बागमती में समाये
* लोग खुद उजाड़ रहे अपना आशियाना
* कल तक जहां किलकारियां थी, वहां आज बह रहा पानी
* जल संसाधन विभाग ने खड़े किये हाथ
* गांव वालों को उनके हाल पर छोड़ा गया
* डीएम के निर्देश पर को भी नहीं माना
* पिछले साल भी इसी जगह पर कटाव हुआ था, जिसकी जानकारी अंचल प्रशासन को दी गयी थी. तत्कालीन डीएम संतोष कुमार मल्ल ने बाढ़ पर प्रखंड मुख्यालय पर समीक्षा की थी तो उन्हें भी जानकारी दी गयी थी. इस वर्ष भी पूर्व से ही प्रशासन को आगाह किया गया, लेकिन समय रहते ध्यान नहीं दिया गया. बाद में डीएम के आदेश पर आये जल संसाधन विभाग ने थोड़ा बहुत काम कर अपना हाथ खड़ा कर दिया. नवीन कुमार
मुखिया, केवटसा