मुजफ्फरपुर: पशुपालन विभाग में अधिकारियों ने पशुओं की दवा व उपकरण की खरीद में 75 लाख रुपये का गोलमाल किया है. नियम कायदे को ठेंगा दिखा कर दवा व मशीन की खरीद कर लिया. दवा खरीद व उपकरण खरीद को विभाग ने गुपचुप तरीके से निबटा दिया है.
खरीद के लिए न तो कोई सूचना दी गई, और न ही खरीद के लिए कोई विज्ञापन प्रकाशित किया गया. यह गोलमाल तीन वर्षो में अधिकारियों ने किया है. जिला पशुपालन विभाग में 2009,2010, 2011 के कागजों की ऑडिट जांच के बाद इस मामले का खुलासा हुआ है. प्रधान महालेखाकार की वर्ष 2013-14 की ऑडिट रिपोर्ट आने से अधिकारियों व कर्मियों के हाथ पांव फूल रहे हैं.
अधिकारियों ने नियम का उल्लंघन करते हुए निजी लाभ के लिए केवल कोटेशन प्राप्त कर खरीदारी कर ली. विभाग ने ऑडिट टीम को जवाब में कहा, पशु दवा की खरीद विभाग से तय कीमत पर की गई है. मशीन उपकरण की खरीद जिला क्रय समिति का गठन कर क्रय समिति की अनुशंसा पर की गई है. इस जवाब से ऑडिट संतुष्ट नहीं हुई.
तौलिया पर बहाया पैसा
जिला पशुपालन विभाग ने वर्ष 2009 से 2012 तक वैसे सामान की खरीदारी की, जिसकी कोई जरू रत ही नहीं थी. स्टेशनरी की खरीदारी बिना जरू रत की गई. यह खरीदारी मार्च में की गई है. बिना किसी मांग के मार्च 2010 व मार्च 2011 में तौलियों व पर्दे खरीद कर पिछले तीन वर्षो से कार्यालय में रखा है. नमूना की जांच में पाया गया कि तीन वर्ष तीन महीने बीत जाने के बाद भी स्टॉक में 68 तौलिया बचे हैं. एक तौलिया की कीमत 225 रुपये थी. यानी इतने पर 15,300 रुपये है. इस प्रकार विभाग ने 60 हजार रुपये से अधिक राशि बिना काम का बहा दिया.