मुजफ्फरपुर: खबड़ा पंचायत अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय भिखनपुरा का भवन गिराये जाने के मामले की जांच डीपीओ सर्वशिक्षा अभियान जियाउल होदा खां व बीइओ ने की है. उनकी जांच रिपोर्ट से जिला शिक्षा पदाधिकारी केके शर्मा भी संतुष्ट नहीं हैं. डीइओ ने कहा कि अभी जांच पूरी नहीं हुई है. जरूरत पड़ी तो फिर से जांच करायी जायेगी.
इधर, भवन गिराये जाने के बाद आस पास के कुछ लोगों के बीच भी नाराजगी है. उनका कहना है कि भवन खुद नहीं गिरा है. उसे रात में बुलडोजर से गिराया गया है. उनका यह भी कहना था कि जांच में डीपीओ व बीइओ ने आरोपितों को क्लीन चिट कैसे दे दी. जबकि विद्यालय 60 साल से अधिक समय से चल रहा था.
स्थानीय लोगों ने कहा, यहां से पढ़े हैं हम
खबड़ा पंचायत के 55 वर्षीय उमेश पासवान ने कहा कि उन्होंने वह इसी विद्यालय से दूसरी कक्षा तक पढ़ाई की है. राम नाथ पासवान ने कहा कि इस विद्यालय से कई छात्र पढ़ कर आज इंजीनियर बन गये हैं. वह भी यहीं से तीसरी कक्षा तक पढ़ाई किये हैं. सभी ने कहा कि प्राथमिक विद्यालय की दीवार 20 इंच मोटी थी. भवन की हालत भी अच्छी थी. एक ही रात में भवन की स्थिति इतनी खराब कैसे हो गयी कि वह अपने आप गिर गया. 1903 से यह विद्यालय इसी जमीन पर चल रहा था. 1955 में इस जमीन पर 18/22 के दो मंजिल पर दो कमरे बनाये गये थे. इसमें तीसरी कक्षा तक की पढ़ाई होती थी.
किसकी है जमीन !
जांच के बाद डीपीओ ने डीएम को जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें कहा गया है कि विद्यालय का भवन व जमीन दोनों निजी था. इसलिए विवाद बेकार है. भवन अपने आप गिर गया है.
पूर्व में जहां विद्यालय चल रहा था, वहां मात्र एक डिसमिल जमीन सरकारी है. जबकि विद्यालय के लिए 16 डिसमिल जमीन की जरूरत है. अगर विद्यालय निजी जमीन व भवन में भी चल रहा था तो भी इसे दूसरे जगह पर भेजे जाने के बाद भी भवन तोड़ा जा सकता था. विद्यालय के चलते में ही भवन को तोड़ दिया गया. विद्यालय भवन की जमीन किसकी है. यह अब तक तय नहीं हो सका है. फिर किस आधार पर विद्यालय की जमीन को डीपीओ ने निजी जमीन बता दी.
झूठ का पुलिंदा है रिपोर्ट
नागरिक संघर्ष समिति के अध्यक्ष घनश्याम महतो का कहना है कि डीपीओ की रिपोर्ट झूठ का पुलिंदा है. डीपीओ व अन्य अधिकारियों ने आरोपितों के साथ साठगांठ कर रिपोर्ट तैयार कर ली है. यहां 1903 से ही विद्यालय चल रहा है. भला, कोई इतना बड़ा कमरा क्यों बना कर विद्यालय चलाने के लिये देगा. उन्होंने कहा कि बिना मापी किये डीपीओ कैसे अंदाजा लगा लिये कि निजी जमीन पर स्कूल का भवन था और सरकारी जमीन खाली थी. उन्होंने कहा है कि जब वह निजी था तो विद्यालय को सामुदायिक भवन ले जाते समय भवन की खिड़की दरवाजा,चापाकल आदि की देखरेख की जिम्मेवारी पूर्व अध्यक्ष उदय सिंह को क्यों दिया गया. जब जमीन भवन सब निजी है तो स्कूल की खिड़की और दरवाजा, चापाकल सरकारी कैसे कर दिया गया.