मुजफ्फरपुर: दिन के 11.30 बजे यार्ड से सप्तक्रांति सुपर फास्ट ट्रेन धुलाई करके बाहर निकलती है. प्लेटफॉर्म पर आने से पहले उसे चंद्रलोक गुमटी के समीप संटिंग में लगा दिया जाता है. संटिंग में लगते ही दिल्ली जाने वाले यात्री सामान लेकर सीट कब्जा करने के लिए दौड़ पड़ते हैं. ट्रेन की पिछली व अगली जनरल बोगी में यात्री चढ़ते हैं. दोनों बोगी में पहले से पुलिस जवान तैनात रहते हैं. यात्रियों के बोगी में प्रवेश करते ही जवान उन्हें रोक देता है.
कहने पर कि सीट तो दीजिए सब हो जायेगा. इस पर जवान अंदर जाने देता है. जैसे ही कैमरे का फ्लश चमकता है. सिपाही यात्री को बोगी से उतारने लगता है, लेकिन तब तक यात्री सवार हो जाता है. ऐसा रविवार को ही नहीं बल्कि रोज होता है.
छह सीट के लिए 300 रुपये. दिल्ली जा रहे उमेश भगत, पवन सहनी, मनोज सहनी, उमेश कुमार, मो साबिर, अनवर हुसैन व रजिया खातून ने कहा कि प्लेटफॉर्म पर ट्रेन के लगने के बाद सीट नहीं मिलती. इसे लेकर अभी रेट तय कर सीट ले ली है. बताया कि छह लोगों की सीट के लिए पुलिस जवान को तीन सौ रुपये दिया है. अनवर, मनहर आलम, पवन कुमार व मनोज पासवान ने 50-50 रुपये दिये .
हर सीट का रेट तय
जनरल बोगी में हर सीट का रेट तय है. खिड़की साइड में सीट के लिए 70 रुपये देने पड़ते हैं. बगल वाली सीट के लिए 60 व बीच में बैठने का 50 रुपया रेट होता है. यात्री पहले पैसा देते हैं, इसके बाद बैठते हैं. थोड़ी भी मोल-जोल करने पर जवान यात्री को बाहर निकाल देते हैं.
निगरानी में लगी डय़ूटी, करने लगे कमाई
ट्रेन जब धुलाई के लिए यार्ड में जाती है, उस वक्त यात्री ट्रेन में सवार नहीं हो, इसके लिए पुलिस बल की तैनाती होती है. यार्ड में यात्री के जाते ही पुलिस बल उसे यार्ड से बाहर निकाल देना है. यार्ड से ट्रेन को लेकर प्लेटफॉर्म तक बिना यात्री के पुलिस जवान को लाना है. प्लेटफॉर्म पर आते ही ट्रेन की बोगी का गेट खोल उसमें यात्री सवार होते है.