फोटो 23महाकवि की पुण्य तिथि पर समीक्षा प्रकाशन में समारोह का आयोजनवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर : महाकवि राम इकबाल सिंह राकेश मानवीय शक्ति में अटूट विश्वास रखने वाले मूल्य संस्कृति के जाग्रत व भास्कर स्वर के रचनाकार थे. उन्होंने अपनी साधना से हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है. वे गांव की सामाजिकता, प्रकृति व परंपरा निष्ठा से जीवन भर बंधे रहे. उक्त बातें प्रकाशक डॉ राजीव कुमार ने कही. वे शुक्रवार को कल्याणी स्थित समीक्षा प्रकाशन में आयोजित महाकवि राकेश की पुण्य तिथि समारोह को संबोधित कर रहे थे. इस मौके पर ब्रजभूषण शर्मा ने महाकवि को ऋषि परंपरा का कवि बताया. उन्होंने कहा कि कवि फूलों व चिडि़यों की भाषा समझते थे. उनकी कविताओं में इसकी भरपूर उपस्थिति मिलती है. डॉ विजयशंकर मिश्र ने कहा कि समकालीनों से भिन्न लिखने वाले राकेश की सृजन भूमि ग्राम्य अंचल व प्रकृति से बनी हुई थी. उनकी रचनाओं में प्रकृति के बहुविध रूप व उसके उत्कर्ष को देखा जा सकता है. कवयित्री मीनाक्षी मीनल ने कहा कि महाकवि राकेश का समय छायावाद के उतार का था. इसलिए उनकी कविताओं में छायावादी प्रवृत्तियों से अलग स्वच्छंदतावादी व प्रगतिवादी का नव स्वर है. विविधा प्रकाशन के निदेशक श्रवण कुमार ने महाकवि के जन्म दिवस पर उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर आधारित पुस्तिका के प्रकाशन की घोषणा की. इस मौके पर डॉ पंकज कर्ण, डॉ मीनू नारायण, बीबी सिन्हा, पुंज प्रकाश झा, रामायण कुमार ने विचार व्यक्त किये. कार्यक्रम की अध्यक्षता शारदाचरण ने की.
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महाकवि राकेश ने किया हिंदी साहित्य को समृद्ध
फोटो 23महाकवि की पुण्य तिथि पर समीक्षा प्रकाशन में समारोह का आयोजनवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर : महाकवि राम इकबाल सिंह राकेश मानवीय शक्ति में अटूट विश्वास रखने वाले मूल्य संस्कृति के जाग्रत व भास्कर स्वर के रचनाकार थे. उन्होंने अपनी साधना से हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है. वे गांव की सामाजिकता, प्रकृति व परंपरा निष्ठा […]
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