मुजफ्फरपुर: कोलकाता बेयर इंडस्ट्रीज लिमिटेड (केबीआइएल) कंपनी के एजेंटों ने ही उसके गोरखधंधे की पोल गुरुवार को खोल दी. 70-80 की संख्या में पहुंचे एजेंटों ने डीएम के जनता दरबार में आवेदन देकर कंपनी पर फर्जीवाड़ा का आरोप लगाया है. एजेंटों के दिये आवेदन से मामला सामने आया है कि कंपनी निवेशकों का करीब 20 करोड़ रुपये लेकर फरार हो चुकी है.
अब निवेशक पैसे के लिए एजेंटों पर दबाव बना रहे हैं. कुछ एजेंटों के साथ मारपीट की घटना भी हो चुकी है. निवेशकों के डर से एजेंट घर छोड़ कर भागते फिर रहे हैं. इन लोगों ने जिलाधिकारी से कंपनी पर प्राथमिकी कर पैसा वसूलने की गुहार लगाई है. शिकायत करने वालों राजेंद्र ओझा, संजीत कुमार, राम प्रवेश आदि शामिल थे. इन लोगों ने बताया कि दो एजेंट निवेशकों के दबाव के कारण आत्महत्या की कोशिश कर चुके हैं.
31 जुलाई को खोला कार्यालय
कंपनी ने भगवानपुर में 31 जुलाई 2009 को अपना कार्यालय खोला. यहां एपीएस, आरपीएस, एमआइएस जैसी योजनाओं में पैसा निवेश होने लगा. निवेशकों को रसीद व सर्टिफिकेट भी दिया जाने लगा. अचानक 16 अगस्त 2013 को सेबी के आदेश के बाद कंपनी बंद हो गयी. जब कंपनी के अधिकारियों से फोन पर बात हुई तो कहा कि सेबी ने प्रॉपर्टी बेचने पर रोक दी है. जैसे ही आदेश मिलेगा प्रॉपर्टी बेच कर निवेशकों का पैसा लौटा दिया जायेगा, लेकिन निवेशक मानने को तैयार नहीं हैं. अंत में हार कर पटना हाइकोर्ट में पूरे बिहार के एजेंट की टीम ने केस दायर किया है. वहीं श्यामल सेन आयोग में भी इसकी सुनवाई चल रही है. अगली सुनवाई 15 अक्तूबर को है.
बेरोजगारी दूर करने को बने एजेंट
डीएम के पास शिकायत करने पहुंचे एजेंटों ने बताया कि वे बेरोजगारी को दूर करने के लिए इस कंपनी से जुड़े. अभी हाल यह है कि रिश्तेदारों से भी संबंध खराब हो चुके हैं. कंपनी का प्रधान कार्यालय पश्चिम बंगाल के चौबीस परगना जिला के जयदेवपुर में स्थित है. कंपनी के कार्यालय में ताला बंद है. पूरे बिहार में हजारों लोगों ने करीब 300 करोड़ रुपये का निवेश किया है. एक-एक एजेंट ने कम से कम दो से पांच लाख रुपये का निवेश लोगों से करवा रखा है.
कई अधिकारियों के वेतन बंद
जनता दरबार में आये मामलों का निष्पादन नहीं होने पर डीएम ने आधा दर्जन अधिकारियों के वेतन पर रोक लगा दी है. जनता दरबार में डीडीसी कंवल तनुज ने 104 नये व 288 पुराने मामले की सुनवाई की. मोतीपुर अंचल के बखरा निवासी सरस्वती देवी के दाखिल खारिज नहीं होने के मामले में मोतीपुर सीओ के वेतन पर रोक लगा दी गयी. उन पर प्रपत्र क गठित करने का भी आदेश दिया गया. वहीं भूमि दाखिल खारिज के मामले में स्मार के बाद भी कार्य नहीं होने पर कुढ़नी सीओ पर प्रपत्र क गठित किया गया. इसके अलावा सीओ सकरा, बंदरा के वेतन पर भी रोक लगायी गयी.