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बेंगलुरु ट्रेनिंग कैंप से अभिषेक गिरफ्तार

मुजफ्फरपुर: सिकंदरपुर के पंडित नेहरू स्टेडियम में मुजफ्फरपुर सेना भरती कार्यालय की ओर से फरवरी में हुए बहाली के दौरान फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद इसकी उच्चस्तरीय जांच शुरू हो गयी है. जांच आर्मी हेड क्वार्टर के सीनियर अधिकारी कर रहे हैं. मेडिकल सर्टिफिकेट में फर्जीवाड़ा कर नौकरी पाने वाला मोतिहारी जिले के बरुआ टोला,अरेराज […]

मुजफ्फरपुर: सिकंदरपुर के पंडित नेहरू स्टेडियम में मुजफ्फरपुर सेना भरती कार्यालय की ओर से फरवरी में हुए बहाली के दौरान फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद इसकी उच्चस्तरीय जांच शुरू हो गयी है. जांच आर्मी हेड क्वार्टर के सीनियर अधिकारी कर रहे हैं.

मेडिकल सर्टिफिकेट में फर्जीवाड़ा कर नौकरी पाने वाला मोतिहारी जिले के बरुआ टोला,अरेराज निवासी रवींद्र तिवारी के पुत्र अभिषेक को सैन्य अधिकारियों ने बंगलुरु आर्मी ट्रेनिंग कैंप में ही गिरफ्तार कर लिया है. फिलहाल उसे आर्मी ट्रेनिंग कैंप में ही रख कर पूछताछ की जा रही है. इसमें अभिषेक ने फर्जीवाड़े को लेकर कई अहम खुलासे किये हैं. इसके आधार पर सैन्य अधिकारी फर्जीवाड़े के खेल में शामिल गया आर्मी अस्पताल के कर्मचारियों व बिचौलिये तक पहुंचने की कोशिश में लगे हैं. बताया जाता है कि अभिषेक को आर्मी की विशेष टीम इसी सप्ताह लेकर गया पहुंचेगी. उसके बाद उसे मुजफ्फरपुर में काजी मोहम्मदपुर पुलिस को सौंपा जायेगा.

इधर, सेना भरती कार्यालय चक्कर मैदान की ओर से काजीमोहम्मदपुर थाने में एफआइआर दर्ज कराये जाने के बाद पुलिस ने अनुसंधान शुरू कर किया है. पुलिस फर्जीवाड़ा में शामिल दूसरे अभ्यर्थी दरभंगा जिले के बहेरा थाना के अधमोला गांव निवासी सियाराम यादव के पुत्र राकेश कुमार यादव की तलाश के लिए छापेमारी हो रही है.

आर्मी अस्पताल के कर्मचारियों की फंसेगी गरदन !
गया आर्मी अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा मोतिहारी अरेराज के अभिषेक कुमार व दरभंगा बहेरा के राकेश कुमार यादव को अनफिट करार

देने के बाद उसे फिट का
मेडिकल सर्टिफिकेट देने में कई कर्मचारियों की गरदन फंसना तय माना जा रहा है. सूत्र बताते हैं कि प्रारंभिक जांच में डॉक्टर की तरफ कोई गलती नहीं मिली है. डॉक्टर ने दोनों को अनफिट बताया है. सर्टिफिकेट बनाने व भरती कार्यालय को लेटर डिस्पैच करने के स्तर से हुआ है. सैन्य अधिकारी इसे बड़ा रैकेट मान रहे हैं. बताया जाता है कि गया आर्मी अस्पताल में सेना के अलावा कुछ सिविलियन कर्मचारी भी कार्यरत हैं. संभावना जतायी जा रही है कि फर्जीवाड़े की खेल उन्हीं कर्मचारियों में से किसी ने किया है. अस्पताल में कार्यरत सेना के कर्मचारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है. डॉक्टर समेत कर्मचारियों के लैपटॉप व कंप्यूटर को जब्त कर जांच की जा रही है.

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