चमकी बुखार : बेटे को ले डेढ़ घंटे पैदल चल पहुंचे पीएचसी, नहीं बचा

मृत्युंजय मनिका (मुशहरी) : सुबह के नौ बजे हैं. मुशहरी ब्लॉक के मनिका गांव के कोने में एक फूस का घर है जहां कई लोग खड़े हैं. उन लोगों के बीच में बैठी सुषमा की आंखों से लगातार आंसू गिर रहे हैं. आंसुओं में उसके तीन साल के बच्चे का चेहरा भी सामने आ रहा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 20, 2019 6:14 AM
मृत्युंजय
मनिका (मुशहरी) : सुबह के नौ बजे हैं. मुशहरी ब्लॉक के मनिका गांव के कोने में एक फूस का घर है जहां कई लोग खड़े हैं. उन लोगों के बीच में बैठी सुषमा की आंखों से लगातार आंसू गिर रहे हैं. आंसुओं में उसके तीन साल के बच्चे का चेहरा भी सामने आ रहा है. चमकी बुखार से उसके तीन साल का बेटा दिलीप उसे हमेशा के लिए उदास कर चला गया है.
मुशहरी ब्लॉक के मनिका गांव में 11 जून से 17 जून के बीच तीन बच्चों ने अपनी जान गवां दी है. जहां यह हादसे हुए हैं वहां से मुख्य सड़क तक जाने का कोई रास्ता नहीं है. खेत से होकर बाहर जाना होता है. इसलिए कोई गाड़ी भी यहां तक नहीं आती.
दिलीप के पिता दिनेश राम दिहाड़ी मजदूरी करते हैं. 17 जून को रात 9 बजे उनके तीन साल के बेटे की तबीयत खराब होनी शुरू हुई. उस समय बुखार ज्यादा नहीं था इसलिए पास के दुकान पर जाकर दवा पूछी. उसके बाद वह बच्चे को घर लेकर आ गये. सुबह तीन बजे बच्चे की हालत बिगड़नी शुरू हुई. इसके बाद आनन फानन में मुशहरी पीएचसी पहुंचे. वहां पहुंचने में डेढ़ घंटे का समय लग गया. वहां से बच्चे को एंबुलेंस से एसकेएमसीएच रेफर किया गया. लेकिन एसकेएमसीएच पहुंचते ही उसकी मौत हो गयी.
मुशहरी के मनिका के तीन बच्चों की हो चुकी मौत, गांव में जाने का रास्ता नहीं तो गाड़ी भी नहीं मिली
गांव में नहीं चला कोई जागरूकता अभियान : चमकी बुखार या एईएस से बचाव के लिए गांव में काेई जागरूकता अभियान नहीं चला. गांव के राम सूरत ने कहा कि गांव में कभी हमलोगों को इस बीमारी से बचाव के बारे में नहीं बताया गया. गांव में कई बच्चे अब भी धूप में या बागीचे में घूमते रहते हैं.
कई परिवार जानकारी के अभाव में इस बीमारी पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. गांव की सोनवती देवी ने बताया कि बच्चों को दवा देने भी पहले कोई आशा या आंगनबाड़ी सेविका नहीं आयी.
खाता किसी का चेक किसी के नाम
एइएस पीड़ित परिवारों को मिलने वाले चार लाख के चेक में भी गड़बड़ी सामने आयी है. मनिका के मुखिया विजय सिंह ने बताया कि मृत रवीना की मां चुनचुन देवी के नाम से बैंक में खाता है पर चेक उसके पिता चुल्हाई राम के नाम से आया है. अब चेक क्लियर होने में दिक्कत हो रही है.
सुबह चार बजे पैदल चलकर पहुंचे पीएचसी : दिनेश राम के घर के कुछ दूर पहले भी एक घर चमकी बुखार से उजड़ गया है. चुल्हाई और चुनचन की चार साल की रवीना की जान चली गयी. जिस दिन रवीना की अर्थी उठी, उसी दिन उसके यहां उसके चाचा की शादी थी. घर की सारी चहल पहल एक झटके में खामोशी में बदल गयी. रवीना की मां चुनचुन देवी ने बताया कि शादी की रात थी इसलिए सभी मौज मस्ती में डूबे थे. घर के सभी पुरुष बरात चले गये. महिलाएं और बच्चे खाकर सो गये. रात तीन बजे अचानक रवीना को बेचैनी हुई और वह बेहोश हो गयी.
हमलोग पास के एक दवा दुकानदार के पास गये तो उसने हाथ खड़े कर दिये. इसके बाद सुबह चार बजे पैदल ही बच्ची को लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे. गांव से वहां तक जाने में चार घंटे का समय लगा. पीएचसी में डॉक्टर ने एसकेएमसीएच ले जाने को कहा. एंबुलेंस के लिए चार सौ रुपये देने पड़े. अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया.

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