मुजफ्फरपुर : समाज काफी बदल चुका है. अब दूसरों के दुख में शामिल होने की परंपरा खत्म हो रही है. शहरीकरण इसकी बड़ी वजह है. साथ में उदारीकरण ने भी बदलाव लाया है. मोबाइल के बगैर काम नहीं चलता. देश में 100 करोड़ से अधिक मोबाइलधारक हैं. मोबाइल लेकर हम सोचते हैं कि आजाद हो गये. पश्चिम से हमने मोबाइल तो ले लिया,
लेकिन यह नहीं सीखा कि मोबाइल का इस्तेमाल कैसे हो. हर जगह हमारी निजता पर हमला हो रहा है, फिर भी आवाज नहीं उठ रहा. यह कहना है साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित प्रो अरुण कमल का. वे रविवार को विश्व विभूति पुस्तकालय में ‘हमारा समाज, आज और समाजवाद के सपने’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे. प्रो अरुण ने कहा कि हाल के दिनों में दलितों पर हमले बढ़े हैं. मुसलमानों की जिस तरह हत्या हो रही है, उनको असुरक्षित महसूस कराया जाता है. यह अहसास कराया जाता है कि तुमसे गुनाह हुआ है.
उन्होंने समाज के लोगों से सवाल किया कि कितनी पीढ़ी पीछे जाओगे. कहा कि जब सर्वहित खंडित होने लगे, तो अराजकता होती है. वर्ण व्यवस्था को जाति आधार पर शोषण बताया. कहा कि फॉर्म भरने में भी यह बताना अनिवार्य होता है कि किस श्रेणी का हूं. मौजूदा राजनीति पर कहा कि सत्ता मिथ्याओं को पैदा करती है. हम स्वार्थ की तरफ धकेले जा रहे हैं. प्रो अरुण ने सवाल उठाया कि संपत्ति के बंटवारे की बात अब बंद क्यों हो गयी? कहा कि हमारा वेतन नेता तय करते हैं. अपना वेतन भी नेता ही तय करते हैं. हमने सवाल पूछना छोड़ दिया है. इससे स्थिति बिगड़ रही है. बिहार में शिक्षा की स्थिति पर कहा कि छात्रों को बर्बाद करने वाली व्यवस्था चल रही है. प्रो अरुण ने कहा कि हर तरफ निराशा व अनिश्चय का माहौल बन गया है.
विनोद प्रसाद सिंह स्मृति व्याख्यान-5 के तहत आयोजित कार्यक्रम में डॉ प्रमोद कुमार ने कहा कि विनोद जी का निजी कुछ भी नहीं था. सबकुछ सार्वजनिक था. धन्यवाद ज्ञापन रमेश जी ने किया. अतिथियों को विनोद बाबू की पुत्री अलका सिंह ने अंगवस्त्र व पुष्प गुच्छ से सम्मानित किया. स्वागत शाहिद कमाल ने किया. मौके पर सुरेेंद्र कुमार, अरविंद, नवेंदु प्रियदर्शी, अरुण कुमार सिन्हा, प्रो रमेश गुप्ता, सोनू सरकार, अमरनाथ, संजय प्रधान, अवधेश आदि थे.