मुजफ्फरपुर: अगर आप डायरिया से पीड़ित हैं और इलाज के लिए सदर अस्पताल जाना चाहते हैं तो सावधान हो जायें. आपके साथ आपके परिजन को भी डायरिया होने का खतरा बन सकता है. सदर अस्पताल में बने आइसोलेशन वार्ड का कुछ यही हाल है. जो दूसरे को ठीक करने का पीड़ा उठाया है, वह आज खुद बीमार हो गया है. जैसे-जैसे गरमी का पारा चढ़ रहा है. वैसे-वैसे आइसोलेशन वार्ड बीमार होता जा रहा है. यहां इलाजरत मरीज सुरक्षित नहीं है.
सदर अस्पताल में 12 बेड का आइसोलेशन वार्ड है. गरमी में प्रतिदिन डायरिया के दो-तीन मरीज यहां भरती होते हैं. उनका इलाज भी किया जाता है. लेकिन, उन्हें यह पता नहीं कि वार्ड उनके लिए कितना सुरक्षित है. वार्ड के फर्श पर गंदगी का अंबार लगा रहता है. वार्ड के दोनों छोर पर बने शौचालय को शायद ही साफ किया जाता हो. यहां तक की पुरुष व महिला शौचालय में लगातार पानी का बहाव होता रहता है. शौचालय में दरवाजा नहीं है. महिला शौचालय को प्लास्टिक से घेर कर उसका उपयोग किया जाता है.
वहीं, पुरुष शौचालय का उपयोग खुले में करने में मरीज विवश हैं. वार्ड में बेड तो लगाया गया है. लेकिन, मरीजों को अपने घर से ही उस पर बिछाने के लिए चादर लाना होता है. बेड के मैट्रेस फट चुका है और अधिकांश पर तो मैट्रेस भी नदारत है.
मरीजों के परिजन की मानें तो उन्हें मरीज के साथ समय बिताना काफी कठिन होता है. वार्ड की साफ-सफाई, शौचालय व पीने के लिए पानी की भी किल्लत है. गंदगी से वार्ड पटा रहता है. डॉक्टरों की मानें तो डायरिया एक फैलने वाली बीमारी है. इसके लिए साफ-सफाई बहुत जरूरी है. सफाई में कमी होने पर यह बीमारी एक से दूसरे व्यक्ति में फैलती है.