मुजफ्फरपुर : राधिका (काल्पनिक नाम) दो साल पहले रेलवे ट्रैक पर पड़ी मिली थी. किसी मां ने जन्म देने के बाद उसे सीने से लगाने की बजाय उसे ट्रैक के पत्थरों पर रख दिया था. लेकिन, राधिका का नसीब कुछ और था. रेलवे ट्रैक से विशिष्ट दत्तक केंद्र पहुंची. वह आज चेन्नई में एक मां की लाडली है.
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दूसरे शहरों में गोद भर रहीं जिले की बेटियां
मुजफ्फरपुर : राधिका (काल्पनिक नाम) दो साल पहले रेलवे ट्रैक पर पड़ी मिली थी. किसी मां ने जन्म देने के बाद उसे सीने से लगाने की बजाय उसे ट्रैक के पत्थरों पर रख दिया था. लेकिन, राधिका का नसीब कुछ और था. रेलवे ट्रैक से विशिष्ट दत्तक केंद्र पहुंची. वह आज चेन्नई में एक मां […]
हमारी ठुकरायी बेटियां दूसरे शहरों में जाकर लोगों की गोद हरी कर रही हैं. जिन बेटियों को हम सड़क और रेलवे ट्रैक किनारे फेंक देते हैं, उन्हें लखनऊ व मुुंबई जैसे शहर के लोग सिर आंखों पर बैठा रहे हैं. बाल संरक्षण इकाई के तहत पूरे देश में गोद लेने की प्रक्रिया होती है. जो बच्चे अनाथ हालत में मिलते हैं उसे चाइल्ड लाइन या चाइल्ड वेलफेयर कमेटी दत्तक केंद्र ले आती है.
दो साल से चल रहा है दत्तक केंद्र: जिले में विशिष्ट दत्तक केंद्र पिछले दो सालों से चल रहा है. दत्तक केंद्र की समन्वयक अनुपमा ने बताया कि जुलाई 2016 में यह केंद्र शुरू हुआ है. तब से अब तक 11 बच्चे यहां से गोद लिये गये हैं. इसमें चार लड़के व सात लड़कियां हैं. अभी कई आवेदन पर कार्रवाई हो रही है.
कारा की वेबसाइट से होती है गोद लेने की प्रक्रिया : बच्चों के गाेद लेने की प्रक्रिया कारा की वेबसाइट के जरिये होती है. बाल संरक्षण के सहायक निदेशक दिवेश शर्मा ने बताया कि सारी प्रक्रिया गोपनीय होती है. बच्ची का नाम व गोद लेनेवालों की पहचान उजागर नहीं की जाती है. वेबसाइट पर आवेदन के बाद आवेदक को बुलाया जाता है. फिर परिवार न्यायालय से आदेश के बाद बच्ची उन्हें दी जाती है.
दो साल तक की जाती है निगरानी: बच्चे गोद लेने के बाद दो साल तक इसकी निगरानी की जाती है कि बच्चा या बच्ची संबंधित परिवार में ठीक से है या नहीं. दत्तक केंद्र की समन्वयक ने बताया कि हम छह महीने पर जाकर वहां पता करते हैं. उस शहर में जो कारा की एजेंसी है वह बच्चे के घर जाती है और अपनी रिपोर्ट देती है.
कहां-कहां गये मुजफ्फरपुर के बच्चे
मुजफ्फरपुर के बच्चे चेन्नई, मुंबई, लखनऊ, गिरीडीह, कोलकाता, बेंगलुरू जैसे शहर गये हैं. दत्तक केंद्र की समन्वयक के अनुसार गोद लेने की प्रक्रिया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होती है. लेकिन, मुजफ्फरपुर में अब तक यह शुरू नहीं हुई है. दत्तक केंद्र में अभी 10 बच्चे हैं, जिनमें पांच लड़के व पांच लड़कियां हैं.
मुजफ्फरपुर के लोग रखते हैं लड़कों की चाहत : जहां दूसरे शहर के लोग बेटियों से गोद भर रहे हैं, वहीं मुजफ्फरपुर के लोग लड़कों की चाहत रखते हैं. विशिष्ट दत्तक केंद्र में आये 31 आवेदन में 25 लड़के, दो लड़की और चार नो च्वाइस का है.
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