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मंदिरों व मस्जिदों की माइक से एइएस से बचाव के लिए जागरूकता अभियान

मुजफ्फरपुर : 13 जिलों में एइएस की रोकथाम के लिए शुक्रवार को कलेक्ट्रेट सभागार में अधिकारियों की जागरूकता की पाठशाला लगी. इसमें स्वास्थ्य विभाग के कार्यपालक निदेशक लोकेश कुमार ने मंदिरों व मस्जिदों की माइक से एइएस से बचाव के लिए जागरूकता अभियान चलाने की बात कही. उन्होंने कहा कि प्रतिदिन सुबह में मंदिरों व […]

मुजफ्फरपुर : 13 जिलों में एइएस की रोकथाम के लिए शुक्रवार को कलेक्ट्रेट सभागार में अधिकारियों की जागरूकता की पाठशाला लगी. इसमें स्वास्थ्य विभाग के कार्यपालक निदेशक लोकेश कुमार ने मंदिरों व मस्जिदों की माइक से एइएस से बचाव के लिए जागरूकता अभियान चलाने की बात कही. उन्होंने कहा कि प्रतिदिन सुबह में मंदिरों व मस्जिदों से लाउडस्पीकर के माध्यम से इस बीमारी से बचाव के लिए एनाउंसमेंट करायी जाये. शुक्रवार को जुम्मे की नमाज के बाद तकरीर में मस्जिद के मौलाना लोगों को एईएस से बचाव की जानकारी देंगे. प्रभावित जिले के डीएम मंदिर कमेटी व मस्जिदों के इमाम की

बैठक बुलाकर इस बाबत निर्देश देंगे. मुजफ्फरपुर, बेतिया, सीवान समेत पांच जिलों में जापानी इंसेफेलाइटिस का टीकाकरण का प्रतिशत कम होने पर उन्होंने चिंता जतायी. इन जिलों के सिविल सर्जन को अभियान चलाकर जेई वेक्सीनेशन कराने का निर्देश दिया गया. यूनिसेफ ने एइएस से लड़ने के लिए पीएचसी में कई कमियां होने की रिपोर्ट दी. रिपोर्ट में कई पीएचसी में दवा, चिकित्सक और संसाधनों की कमी होने के बारे में बताया गया. पूर्वी व पश्चिमी चंपारण, सीवान, गोपालगंज, सारण व सीतामढ़ी जिले के कई पीएचसी में स्पेशल वार्ड तक नहीं है.

जिले के कई पीएचसी में दवा उपलब्ध नहीं . मुजफ्फरपुर जिले के कई पीएचसी में दवा व जांच उपकरण नहीं होने का मामला कार्यशाला में सामने आया. कार्यशाला में कार्यपालक निदेशक लोकेश कुमार ने 12 दिनों के अंदर सभी कमियों को पूरा कर लेने का निर्देश दिया. कार्यशाला में प्रोजेक्टर पर बीमारी के लक्षण, कारण व बचाव के साथ बिहार एसओपी के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी.
डीएम व सीएस को प्रतिदिन मॉनीटरिंग करने का निर्देश दिया गया. कार्यशाला में आयुक्त एचआर श्रीनिवास, डीएम धर्मेंद्र सिंह, सहायक निदेशक डॉ. एमपी शर्मा, राज्य प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ एनके सिन्हा, नोडल अधिकारी संजय कुमार समेत 13 जिले के सीएस, डीपीएम, एसीएमओ व कई शिशु रोग विशेषज्ञ समेत कई लोग मौजूद थे.
एपिडेमिक होने पर दूसरे जिले से आयेंगे चिकित्सक व एंबुलेंस
एइएस के एपिडेमिक होने पर दूसरे जिले से चिकित्सक व एंबुलेंस भेजने का भी निर्णय लिया गया. कार्यपालक निदेशक ने चिकित्सकों की सूची बनाकर उन्हें प्रतिनियुक्त करने का संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया. कार्यशाला में यह बात सामने आयी कि केजरीवाल अस्पताल में एक भी शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं हैं.
ऐसे में जाे एइएस पीड़ित बच्चे वहां भर्ती होते हैं, उनका इलाज प्रोटोकॉल के अनुसार नहीं होता है.
गलत इलाज के कारण जब बच्चों की हालत जब गंभीर हो जाती है, तब उन्हें एसकेएमसीएच रेफर कर दिया जाता है. ऐसी स्थिति में अधिकांश बच्चों की मौत हो जाती है. केजरीवाल के चिकित्सकों को भी एसओपी की ट्रेनिंग देने का निर्णय लिया गया.

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