मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर जिले के देवरिया थाने के मुहब्बतपुर गांव में जहां पिछले आम चुनाव के दौरान माओवादियों ने खूनी खेल खेला था, वहां इस चुनाव में लोकतंत्र का पताका लहरायी. यहां के लोगों ने माओवादी हिंसा का जवाब वोट की ताकत से दिया. अंतिम चरण में सोमवार को कड़ी सुरक्षा के बीच यहां हुए मतदान में लोगों ने बड़े पैमाने पर वोट डाले. पिछली बार की तुलना में मुहब्बतपुर गांव के आसपास के बूथों पर 13 से बीच 20 फीसदी तक अधिक मतदान हुआ. यह गांव वैशाली संसदीय क्षेत्र के साहेबगंज विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है.
मुहब्बतपुर गांव के पास गंडक नहर की पुलिया के पास 23 अप्रैल 2009 को नक्सलियों ने लैंड माइंस विस्फोट किया था, जिसमें मजिस्ट्रेट व दारोगा समेत पांच लोग शहीद हो गये थे. इसे देखते हुए इस बार मुहब्बतपुर के आसपास के बूथों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे. लेकिन, जो लोग वोट डालने पहुंच रहे थे,उनके चेहरों पर खौफ नहीं था. वे ये तय करके आये थे कि लोकतंत्र को मजबूत बनाना है. यहीं वजह रही प्राथमिक विद्यालय लखनौरी उत्तरी भाग के बूथ 146 पर 962 मतदाताओं में 643 लोगों ने अपने मतों का उपयोग किया. यहां चार बजे तक वोटिंग हुई.
बूथ पर 12:35 बजे तक 502 वोट पड़ चुके थे. लखनौरी के बूथ 147 पर 919 में 560 लोगों ने वोटिंग की. मुहब्बतपुर के बूथ 148 व 149 पर 56 फीसदी मतदान हुआ. थोड़ी दूर पर स्थित बिशुनपुर सरैया की गंडक प्रोजेक्ट के बूथ संख्या 164 पर 62.9 फीसदी मतदान हुआ. इसी चौक पर नक्सलियों ने विधायक प्रतिनिधि भोला सिंह की हत्या कर दी थी. पिछली बार इन बूथों पर करीब 43 फीसदी मतदान हुआ था. इन सभी केंद्रों को अति संवेदनशील घोषित किया गया था. यह इलाका पूरी तरह से माओवाद से ग्रस्त माना जाता है.
पिछले चुनाव की घटना से सबक लेते हुए मतदान के 24 घंटे पहले से ही पुल-पुलियों की ड्यूटी में जवानों व चौकीदारों को तैनात कर दिया गया था. जिस पुल पर पिछले बार लैंड माइन विस्फोट कराया गया था. वहां पर एंटी लैंड माइन वाहन व सैप जवानों की तैनाती की गयी थी.