ऑटो टिपर घोटाला . सरकार ने टेंडर को किया रद्द
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दो पूर्व नगर आयुक्त समेत छह इंजीनियरों को नोटिस
ऑटो टिपर घोटाला . सरकार ने टेंडर को किया रद्द मुजफ्फरपुर : नगर निगम में 50 ऑटो टिपर खरीद में हुए करोड़ों रुपये के घोटाला की निगरानी जांच के बीच सरकार ने कार्रवाई प्रारंभ कर दी है. खरीद के लिए निकाले गये टेंडर प्रक्रिया को ही नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव चैतन्य […]
मुजफ्फरपुर : नगर निगम में 50 ऑटो टिपर खरीद में हुए करोड़ों रुपये के घोटाला की निगरानी जांच के बीच सरकार ने कार्रवाई प्रारंभ कर दी है. खरीद के लिए निकाले गये टेंडर प्रक्रिया को ही नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद ने रद्द कर दिया है. वहीं उन्होंने पत्र जारी कर खरीद प्रक्रिया में शामिल निगम के अधिकारी, इंजीनियर व कर्मियों से स्पष्टीकरण मांगा है. इसमें दो पूर्व नगर आयुक्त रमेश प्रसाद रंजन व एडीएम डाॅ रंगनाथ चौधरी के अलावा परचेज कमेटी में शामिल निगम के कार्यपालक अभियंता, दो सहायक अभियंता व तीन कनीय अभियंता के अलावा कई निगम कर्मियों का नाम शामिल हैं.
इन सभी अधिकारी व इंजीनियर से तय समय-सीमा के भीतर स्पष्टीकरण का जवाब देने को कहा गया है. इन सभी के ऊपर आरोप है कि तिरहुत ऑटोमोबाइल का कोटेशन कम रेट का था. फिर पटना की कंपनी मौर्या मोटर्स को टिपर आपूर्ति का ऑर्डर कैसे दिया गया. एडीएम डॉ रंगनाथ चौधरी पर 24 ऑटो टिपर की आपूर्ति के बाद आनन-फानन में 1.52 करोड़ रुपये का चेक काट भुगतान करने का आरोप है. जिस वक्त तत्कालीन नगर आयुक्त डॉ रंगनाथ चौधरी ने चेक काट टिपर का भुगतान किया था. उस वक्त सरकार स्तर से इसकी जांच चल रही थी.
इधर, पूर्व नगर आयुक्त रमेश प्रसाद रंजन से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गयी, लेकिन उन्होंने काॅल रिसीव नहीं किया.
मानक के अनुरूप ऑटो-टिपर में नहीं लगे हैं पार्ट्स
निगम में जो आॅटो टीपर की आपूर्ति हुई है. नगर आयुक्त के निर्देश पर मोटर वैकिल इंस्पेक्टर (एमवीआइ) ने इन टिपरों की जांच-पड़ताल की. इस दौरान उसमें कई ऐसे पार्ट्स लगे हैं. जो मानक पर खड़ा नहीं उतरता है. निगम प्रशासन के मुताबिक एमवीआइ की रिपोर्ट में तकनीकी रूप से टिपर के क्वालिटी पर सवाल खड़ा किया गया है. जिसके बाद सरकार ने विजिलेंस की जांच रिपोर्ट आने से पहले ही मामले में शामिल अधिकारी व कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है.
महापौर की अनुशंसा पर है भुगतान
टिपर की भुगतान महापौर सुरेश कुमार की अनुशंसा पर की गयी है. महापौर ने जिस वक्त भुगतान का ऑर्डर दिया है. उस वक्त टिपर आपूर्ति की क्वालिटी पर एमवीआइ की रिपोर्ट नहीं मिली थी. विजिलेंस के मुताबिक भुगतान की प्रक्रिया आनन-फानन में की गयी है. क्योंकि जिस दिन 1.52 करोड़ रुपये का चेक कटा है. उसी दिन आइएएस नगर आयुक्त संजय दूबे की बतौर नगर आयुक्त पोस्टिंग की अधिसूचना सरकार से जारी की गयी है. एसपी ने बताया कि मामले में महापौर से भी पूछताछ होगी. हालांकि, मामले से संबंधित महापौर को कोई पत्र नहीं मिला है.
तत्कालीन नगर आयुक्त रमेश प्रसाद रंजन के कार्यकाल में 50 ऑटो टिपर की खरीद के लिए हुआ था टेंडर
तिरहुत ऑटो मोबाइल का कोटेशन कम रहने के बाद पटना के मौर्या मेसर्स को ऑर्डर देने का मामला
विजिलेंस जांच रिपोर्ट से पहले ही विभाग ने वित्तीय अनियमितता मानते हुए की कार्रवाई
डेढ़ महीने तक प्रभारी नगर आयुक्त रहे अपर समाहर्ता डॉ रंगनाथ चौधरी भी घिरे
जांच में गड़बड़ी मिलने पर प्रधान सचिव स्तर से टेंडर प्रक्रिया को रद्द कर दी गयी है. खरीद प्रक्रिया में शामिल पूर्व दो नगर आयुक्त के अलावा सभी इंजीनियर व कर्मियों से स्पष्टीकरण की मांग की गयी है.
संजय दूबे, नगर आयुक्त.
मुझे स्पष्टीकरण का कोई पत्र नहीं मिला है. हमसे रिपोर्ट मांगी गयी थी. तब हमने जवाब दे दिया था. भुगतान पर कोई रोक नहीं थी. महापौर की अनुशंसा पर 24 टिपर की आपूर्ति होने पर उसका भुगतान कर दिया था.
डाॅ रंगनाथ चौधरी, पूर्व प्रभारी नगर आयुक्त
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