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रोज खतरे में रहती है स्कूली बच्चों की जान

मुख्य मार्गों के किनारे बने स्कूलों में छुट्टी के समय प्रबंधन बरतता है लापरवाही मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर जिले के मीनापुर धर्मपुर सड़क हादसे में नौ स्कूली बच्चों की मौत ने अभिभावकों को झकझोर कर रख दिया है. सड़क किनारे स्थित स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों की चिंता बढ़ गयी है. ऐसी घटनाएं प्रशासन […]

मुख्य मार्गों के किनारे बने स्कूलों में छुट्टी के समय प्रबंधन बरतता है लापरवाही
मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर जिले के मीनापुर धर्मपुर सड़क हादसे में नौ स्कूली बच्चों की मौत ने अभिभावकों को झकझोर कर रख दिया है. सड़क किनारे स्थित स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों की चिंता बढ़ गयी है. ऐसी घटनाएं प्रशासन के लिए चुनौती हैं. एनएच किनारे
स्कूलों के पास तेज रफ्तार वाहनों के बीच सड़क किनारे या पार करते बच्चे रोजाना देखे जा सकते हैं.
हैरत की बात यह है कि बच्चों की सुरक्षा और तेज रफ्तार वाहनों पर लगाम लगाने की दिशा में जिम्मेदार विभागों की तरफ से समुचित कदम नहीं उठाये गये हैं. जहां तक स्कूल प्रबंधन का सवाल है, उसका रवैया हमेशा गैर जवाबदेह पूर्ण रहता है. फिलहाल सड़क पर बच्चे सबसे ज्यादा खतरे में हैं. जिले में एक दर्जन से अधिक स्कूल ऐसे हैं जहां बच्चे रोजाना मुख्य सड़क पार करते हैं. कई स्कूल तो हाईवे के बाइपास पर हैं. स्कूली बच्चों की सड़क पर सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन को लागू कराने वाली एजेंसियां फिलहाल चुप्पी साधे हुए हैं.
व्यस्त ट्रैफिक के बीच सड़क पार करते हैं बच्चे
एनएच किनारे कई ऐसे स्कूल हैं, जहां बच्चे जान जोखिम में डाल कर सड़क पार करते हैं. अधिकांश स्कूलों के सामने स्पीड ब्रेकर, जेब्रा क्रॉसिंग, स्पीड लिमिट का बोर्ड भी नहीं है, ताकि सड़क पर आने-जानेवाले वाहनों की रफ्तार को नियंत्रित किया जा सके.
इस कारण दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. हालांकि प्राइवेट स्कूलों की ओर से दावा किया जाता है कि बच्चों के आने व छुट्टी के वक्त स्कूल गेट के बाहर चतुर्थवर्गीय कर्मचारी तैनात रहते हैं.
सड़क किनारे खुल रहे हैं स्कूल
जिले में सस्ती जमीन के चक्कर में सड़क किनारे नये-नये स्कूल खुल रहे हैं, वहीं बड़े-बड़े प्रतिष्ठान, गैरेज, शोरूम आदि भी खुल गये हैं. इस कारण भी बड़े वाहनों का आवागमन बढ़ गया है. यहां सड़कों किनारे स्कूल हैं, लेकिन स्पीड लिमिट का बोर्ड वगैरह नहीं होने के यहां से गुजरने वाले वाहनों की रफ्तार तेज होती है.
क्या हैं खामियां
निजी ऑपरेटरों की बसों पर नहीं होता स्कूल का नाम व टेलीफोन नंबर, वाहनों में ड्यूटी के समय चालक व सह चालक वर्दी में नहीं रहते, अधिकांश बसों की खिड़कियों पर नहीं लगी है ग्रिल, बसों में महिला कर्मियों की तैनाती नहीं की गयी है
बने हादसा रोकने का फुल प्रूफ प्लान मीनापुर धर्मपुर हादसे ने संवेदनशील समाज को झकझोर कर रख दिया है. जानकारों के मुताबिक यह हादसा एक सबक भी है. इसको याद रखते हुए हादसों को रोकने का फुल प्रूफ प्लान बनाया जाना चाहिए, ताकि इस तरह की दर्दनाक घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो.
किसी घर का चिराग असमय न बुझे. हालांकि यह एक सच्चाई है कि एनएच और मुख्य सड़क के किनारे दर्जनों स्कूल हैं, जहां के हजारों बच्चे खतरे उठाकर सड़क पार करते हैं. पूर्व में चक्कर चौक के पास छात्रा के कुचले जाने की घटनाएं हुई हैं. पुलिस ने इन हादसों के बाद हादसा रोकने के कुछ उपाये भी किये, लेकिन अब भी स्कूली बच्चे सड़क पर ज्यादा असुरक्षित हैं.
बच्चे के घर पहुंचने तक जिम्मेदारी स्कूल की
स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर हाल ही में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि बच्चों के घर पहुंचने तक सुरक्षा की जिम्मेदारी स्कूल की है. बच्चा जब घर से निकल कर स्कूल बस पर सवार हो जाता है, उसके बाद से ही बच्चे की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्कूल की है.
सरकारी स्कूलों को चिंता नहीं
सड़क पर पैदल, निजी वाहन या पब्लिक वाहनों से आवागमन करने वाले अधिकांश विद्यार्थी सरकारी स्कूलों के होते हैं. प्राइवेट स्कूलों की तुलना में इन स्कूलों के बच्चों में सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता कम होती है. इन स्कूलों में न तो सेफ क्लब होता है और न ही उन्हें सड़क सुरक्षा की जानकारी होती है.
बताया जाता है कि सड़क सुरक्षा के नाम पर इन स्कूलों में कुछ प्रतियोगिताओं का आयोजन कर खानापूर्ति मात्र कर दी जाती है. इसके अलावा स्कूलों द्वारा भी बच्चों के आने व छुट्टी के समय सामने सड़क पर किसी कर्मचारी को तैनात नहीं किया जाता है.
सड़क किनारे स्कूल
एनएच 28 किनारे राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय दीघरा, कांटी छपरा में हाइस्कूल मुजफ्फरपुर पूसा मार्ग पर रोहुआ हाइ स्कूल व मिडिल स्क्ूल, द्वारिका नगर में हाइस्कूल आदि हैं.
जेब्रा क्रॉसिंग न साइनेज, स्कूल के सामने स्पीड
मानकों की हर स्तर पर अनदेखी हो रही है. स्कूलों के सामने की गति सीमा 20 किमी प्रति घंटे निर्धारित है. गति सीमा निर्धारण और स्कूल का साइनेज लगाने के भी निर्देश हैं. लेकिन ज्यादातर स्कूलों के सामने की सड़क पर इसका पालन नहीं दिखता है.
आरसीडी ने साइनेज नहीं लगाया है और कहीं लगाया भी है तो वाहन चालक उस का बिल्कुल पालन नहीं करते.

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