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सुविधा दें, फिर नगर निगम में शामिल करें

प्रभात परिचर्चा. मुशहरी प्रखंड के सहबाजपुर पंचायत के चौपाल में उमड़ी ग्रामीणों की भीड़, कहा कहा, जमीन का रेट बढ़ गया, पर सुविधाएं नहीं मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर शहर स्मार्ट सिटी में शामिल हो चुका है. अब इस पर तेजी से काम शुरू होना है, लेकिन शहर के विस्तारीकरण की मंजूरी सरकार से नहीं मिलने के […]

प्रभात परिचर्चा. मुशहरी प्रखंड के सहबाजपुर पंचायत के चौपाल में उमड़ी ग्रामीणों की भीड़, कहा

कहा, जमीन का रेट बढ़ गया, पर सुविधाएं नहीं
मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर शहर स्मार्ट सिटी में शामिल हो चुका है. अब इस पर तेजी से काम शुरू होना है, लेकिन शहर के विस्तारीकरण की मंजूरी सरकार से नहीं मिलने के कारण आनेवाले समय में प्रशासन के सामने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शुरू होनेवाले काम में कई तरह की बाधाएं उत्पन्न होंगी
. सबसे ज्यादा परेशानी सड़कों की चौड़ाई बढ़ाने को लेकर होगी. जलापूर्ति व अंदर ग्राउंड बिजली आपूर्ति में भी बाधा होगी.
प्रभात खबर ने इन्हीं मुद्दों पर शहर से सटे इलाके में चौपाल लगा लोगों की राय जानने की कोशिश की, जो अभी ग्रामीण क्षेत्र में आता है, लेकिन सरकार से विस्तारीकरण की मंजूरी मिलने पर शहर में शामिल हो जायेगा. इसी कड़ी में शनिवार को मुशहरी प्रखंड के सहबाजपुर पंचायत दुर्गा स्थान के समीप चौपाल लगायी गयी. पंचायत की मुखिया, पूर्व मुखिया समेत अन्य जनप्रतिनिधि व पब्लिक जुटे. अधिकतर लोग पंचायत को नगर निगम में शामिल करने पर राजी दिखे. इसलिए कि उन्हें भी शहरी क्षेत्रवाली सुविधाएं मिल सकें. तर्क था कि बिजली की दर शहरी लग रही है. जमीन की रेट काफी बढ़ गयी है. फिर शहरवाली सुविधा क्यों नहीं मिले.
हालांकि, पंचायत की मुखिया
पति मो इनायत व पूर्व मुखिया सह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता उमाशंकर सिंह ने इसका विरोध किया. कहा, पहले सरकार पांच सालाें तक पंचायत के लोगों को शहरी सुविधा मुहैया कराये. लोगों को जब अहसास हो जायेगा कि उन्हें शहरी सुविधाएं मिल रही हैं, तो शहरी क्षेत्र में लगने वाले टैक्स को लोग भुगतान करेंगे.
उमाशंकर सिंह (पूर्व मुखिया) : सड़क, बिजली, पानी, नाला व सफाई शहर हो या गांव, ये पांचों चीज हर जगह के लिए आवश्यक है. व्यवस्था कहीं ज्यादा तो कहीं कम रहती है, लेकिन हम नगर निगम क्षेत्र के अधीन आनेवाले शहर के सिकंदरपुर व चंदवारा इलाके की जो स्थिति देख रहे हैं, इससे यह कह सकते हैं कि इन इलाकों की स्थिति नारकीय है. इससे अच्छा शहर के आसपास के ग्रामीण इलाके का हाल है. लोग टैक्स भी दे रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई सुविधा नहीं मिल रही है.
मो इनायत (मुखिया पति) : शहर से सटे ग्रामीण इलाके के विस्तारीकरण को मंजूरी मिलने के बाद भी हम नगर निगम में नहीं शामिल होने देंगे. नगर निगम में शामिल होने से लोगों को सुविधा नहीं मिलेगी, लेकिन टैक्स का बोझ इतना हो जायेगा, जो उनके लिए संभालना मुश्किल होगा.
कमलेश सिंह (स्थानीय पब्लिक) : हमारा पंचायत अगर शहर में शामिल होता है, तो यह अच्छी बात है. अभी गांव में रहते हुए हमलोग बिजली बिल शहर का दे रहे हैं, लेकिन शहर के अनुपात में बिजली कम मिलती है. जमीन का रेट काफी बढ़ चुका है. सरकार अगर सड़क, बिजली, पानी, नाला व सफाई, इन पांचों चीज को ठीक कर देती है. फिर ग्रामीण इलाके को शहर में शामिल किया जाए, इसका विरोध नहीं होगा.
अरविंद शाही (स्थानीय निवासी) :
सरकार मुफ्त में कोई सुविधा नहीं देती है. शहर के लाेगों से टैक्स लेती है, तब वहां रहनेवाले लोगों को सुविधा मिलती है. विस्तारीकरण को जैसे ही मंजूरी मिलेगी, वैसे टैक्स लगा दिया जायेगा. लेकिन सुविधाएं नहीं मिलेगी. ताजा उदाहरण हमलोगों के सामने में नगर निगम का शहरी इलाका है. पूरे मॉनसून शहरवासी सड़क पर जलजमाव व गंदगी से परेशान रहते हैं.
नवनीत सिंह (स्थानीय निवासी) : ग्रामीण क्षेत्र को शहर में शामिल करने का कदम अगर सरकार उठाती है, तो यह स्वागतयोग्य है. बड़ी संख्या में सहबाजपुर पंचायत में बाहरी लोग जमीन खरीद मकान बना लिये हैं. तेजी से कॉमर्शियल प्लेस के रूप में पंचायत विकसित हो रहा है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र होने से बहुत सारी ऐसी सुविधाएं हैं, जिसका लाभ लोगों को नहीं मिलता है.
गणतंत्र गौरव (स्थानीय निवासी) : सहबाजपुर पंचायत में बाजार समिति आता है. करोड़ों का कारोबार हर दिन यहां से होता है, लेकिन सुविधा कुछ भी नहीं है. नगर निगम के हवाले अगर यह इलाका होता, तो सुविधाएं जरूर मिलतीं. हम चाहते हैं कि शहर की तरह हमारे पंचायत की भी सड़कें बनें. अन्य व्यवस्थाएं में भी सुधार हो.
आदित्य स्वरूप (स्थानीय निवासी) : मुख्यमंत्री के सात निश्चय योजनाओं का लाभ शहर में तेजी से मिल रहा है. हमलोग शहर से सटे हैं, लेकिन इसका लाभ नहीं मिल रहा है. अगर यह इलाका शहर में रहता, तो उन्हें भी इसका लाभ मिलता. इसके अलावा बहुत सारी ऐसी योजनाएं हैं, जिसका लाभ शहर में शामिल होने पर मिलेगा. इसका विरोध नहीं होना चाहिए.
रविरंजन कुमार (स्थानीय निवासी) : शहर की सड़कों पर रात्रि में स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था है. रोज सफाई होती है. कूड़ा-कचरा उठाया जाता है. लेकिन हमारा इलाका ग्रामीण क्षेत्र में आता है, इसलिए इसमें से कोई सुविधा नहीं मिलती है. उल्टे शहर से जो कूड़ा-कचरा उठता है, उसे शहर से सटे इलाके में सड़क किनारे डंप कर दिया जा रहा है. हमारे पंचायत में सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए.
राजन कुमार (स्थानीय निवासी) : पंचायत में इतनी घनी आबादी हो गयी है कि अब शहर की तरह सड़कों पर जलजमाव की समस्या होने लगी है. हल्की बारिश होती है, तो रोड पर पानी लग जाता है. नाला की व्यवस्था नहीं है. इससे बारिश के दौरान लोगों के घरों में पानी घुस जा रहा है. इस बिंदु पर जनप्रतिनिधि व प्रशासन को सोचने की जरूरत है.
देवेंद्र पाठक (स्थानीय निवासी) : पंचायत से ज्यादा समस्या निगम क्षेत्र में है. सरकार क्या सोच कर विस्तारीकरण में हमारे पंचायत को शामिल कर रही है. पहले से जो निगम का क्षेत्र है, वह संभल नहीं रहा है. पंचायत क्षेत्र को शहर में शामिल करने की कवायद पब्लिक के हित में सही नहीं होगा. टैक्स के लिए अगर सरकार यह कदम उठाती है, तो हमलोग इसका पुरजोर विरोध करेंगे.

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