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अब कौन जुटाएगा पुजारी जी के बच्चों के लिए रोटी

मुजफ्फरपुर : सर… आप भी इंसान है… हम भी इंसान है. इकलौता सहारा था दीपक अपने परिवार का. आज उसकी भी हत्या कर दी गयी. अब उसके दो मासूम बेटे आदित्य और आर्यण व पत्नी के लिए दो वक्त का भोजन कौन जुटाएगा. दीपक के पिताजी सुकदेव ओझा की मौत 45 दिन पूर्व हो गयी […]

मुजफ्फरपुर : सर… आप भी इंसान है… हम भी इंसान है. इकलौता सहारा था दीपक अपने परिवार का. आज उसकी भी हत्या कर दी गयी. अब उसके दो मासूम बेटे आदित्य और आर्यण व पत्नी के लिए दो वक्त का भोजन कौन जुटाएगा. दीपक के पिताजी सुकदेव ओझा की मौत 45 दिन पूर्व हो गयी थी. वह आइडीपीएल से रिटायर्ड थे. सर कुछ ऐसा कीजिए कि एक गरीब ब्राह्मण का परिवार सड़क पर न आ जाये. बवाल की सूचना पर सुबह नौ बजे तक जिला प्रशासन व पुलिस के सभी वरीय पदाधिकारी बेला छपरा के आइडीपीएल स्थित एसएसबी कैंप पहुंच गये. गेट के बाहर प्रदर्शन कर रहे लोगों को समझाने का प्रयास किया तो सभी भड़क गये. जमकर उनके खिलाफ नारेबाजी करने लगे.

देखिए एसडीओ साहब, यह वहीं पंडित का शव है : देखिए एसडीओ साहब, यह वहीं पंडित का शव है, जिसके कहने पर एक साल पहले एसएसबी कैंप के विरोध में हंगामा कर रहे लोग पीछे हट गये थे. आज आप उनकी मौत की खबर पर पहुंचे तो शव के पास भी नहीं गये और सीधे कैंप में चले गये. क्या यही मानवता है. यह बातें प्रदर्शन कर रहे लोगों ने एसडीओ पूर्वी सुनील कुमार से कही.

अब कैसे कटेगी जिंदगी, जब जीने का सहारा ही छिन गया: पति की मौत की खबर सुनने के बाद पूजा एकदम से बेसुध हो गयी. उसके आंख के आंसू सूख गये. वह सुबह के सात बजे से लेकर दोपहर के एक बजे तक अपने पति दीपक के शव से लिपट कर बार- बार एक ही बात बोल रही थी कि अब कैसे कटेगी जिंदगी, जब जीने का सहारा ही छिन गया मेरा. भैया मेरे पति दिन रात भगवान की सेवा करते रहते थे.

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