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कबाड़ से हर महीने करोड़ों रुपये का व्यवसाय

मुजफ्फरपुर: हमारे-आपके घरों व दुकानों से निकलने वाले कबाड़ का दीपावली के आसपास करोड़ों रुपये का व्यवसाय होता है. सामान्य दिनों में जिले में जहां 500 से 600 टन कबाड़ निकलता है. वहीं दीपावली के समय एक दिन में करीब 700 से 800 टन कबाड़ (पेपर, गत्ता, कुट, लोहा, प्लास्टिक, रबड़) निकल रहा है. इस […]

मुजफ्फरपुर: हमारे-आपके घरों व दुकानों से निकलने वाले कबाड़ का दीपावली के आसपास करोड़ों रुपये का व्यवसाय होता है. सामान्य दिनों में जिले में जहां 500 से 600 टन कबाड़ निकलता है. वहीं दीपावली के समय एक दिन में करीब 700 से 800 टन कबाड़ (पेपर, गत्ता, कुट, लोहा, प्लास्टिक, रबड़) निकल रहा है. इस कारण सामान्य दिनों में प्रतिदिन जहां 60 से 70 लाख का व्यवसाय प्रतिदिन होता था, दीपावली के समय यह बढ़ कर 90 लाख से एक करोड़ रुपये प्रतिदिन पर पहुंच गया.


दीपावली के समय कबाड़ के व्यवसाय में करीब 20 प्रतिशत तक की वृद्धि हो जाती है. जिले में करीब 100 से 125 कबाड़ की दुकानें हैं. इनमें 15 से 20 बड़े व्यवसायी हैं. कुछ व्यवसायियों ने कहा कि नोटबंदी व जीएसटी ने पूरे व्यवसाय को चौपट कर दिया है. पेपर-गत्ता-कूट पर 12 प्रतिशत, लोहा पर 18 प्रतिशत और प्लास्टिक पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगा दिया गया है. इस कारण व्यवसाय काफी प्रभावित हुआ है. जीएसटी कम करने की बात सरकार कह रही है, लेकिन व्यवसायियों को इस बीच काफी नुकसान हुआ है.
एक दिन में दो से तीन सौ रुपये की कमाई : दीपावली के समय गली-मोहल्ले में कबाड़ चुननेवालों की कमाई भी काफी बढ़ जाती है. पहले गली-मोहल्ले में कबाड़ लेने वाले 70 से 100 रुपये कमाते थे, दीपावली के समय उनकी कमाई दो से तीन रुपये प्रतिदिन हो गयी है. रामू, गुड़िया, पप्पू, रमन आदि ने बताया कि दीपावली के समय एक महीने तक थोड़ी कमाई बढ़ जाती है.
गत्ता यूपी, प्लास्टिक जाता है दिल्ली : शीशे का कारोबार प्रभावित होने के बाद अब कबाड़ में मुख्य तीन सामान हैं. एक पेपर-गत्ता-कूट जिसे रीसाइकिल के लिए यूपी के बस्ती में भेजा जाता है. लोहा का स्क्रैप स्थानीय स्तर पर लोहा फैक्टरी में भेज दिया जाता है. वहीं प्लास्टिक में लो डेन्सिटी (बाल्टी, मग, छोटे ड्रम आदि सामान), हाइ डेन्सिटी (प्लास्टिक के बड़े ड्राम, गाड़ी के फाइवर आदि) और प्लास्टिक का सामान जिसे रीसाइकिल होने के लिए दिल्ली की फैक्टरी में भेजा जाता है.
शराबबंदी से शीशा का कारोबार प्रभावित
शराबबंदी से शीशे का कारोबार करीब-करीब ठप होने के कगार पर पहुंच गया है. दवा से लेकर अधिकांश सामान अब शीशे की बोतल की जगह प्लास्टिक के बोतल में आने लगे हैं. पहले केवल शीशे का कारोबार प्रतिदिन 40 से 50 लाख रुपये का होता था, यह अब घट कर करीब पांच लाख रुपये पर आ गया. फूटे शीशे का पूरा कबाड़ फिरोजाबाद चूड़ी बनाने के लिए भेजा जाता था. वहीं शराबबंदी से पूर्व शराब व बीयर की अच्छी बोतल शराब कंपनियां ले लेती थीं.
कबाड़ की कीमत
पेपर-कूट-गत्ता 06-08 रुपये
लोहा 14-16 रुपये
प्लास्टिक 14-30 रुपये
शीशा 03-04 रुपये

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