मुजफ्फरपुर: पैर से चल कर ही न जांच कराने यहां आये हैं. फिर चुनाव ड्यूटी करने में क्या समस्या है. सर, नहीं झुक सकते हैं. इसमें झुकने का क्या काम है. पेट्रोलिंग में रहना है. डॉक्टर साहब, हाथ ऊपर नहीं उठता है. ऐसे कहने से नहीं होगा, हाथ को सिर के समानांतर उठा का दिखाएं. अरे आप तो जवान हैं. सभी लोग नाम कटवा लीजियेगा तो ड्यूटी कौन करेगा. चुनाव डय़ूटी से नाम हटवाने के लिए मेडिकल टीम के समक्ष उपस्थित कर्मियों का इसी तरह ट्रायल लिया जा रहा था.
मेडिकल ग्राउंड के आधार पर चुनाव कार्य से मुक्त होने के लिए लिए शनिवार को समाहरणालय में 314 कर्मचारी पहुंचे. बताया जाता है कि मेडिकल टीम रविवार सुबह तक कार्मिक कोषांग को रिपोर्ट सौंप देगी. मेडिकल जांच के दौरान डॉक्टरों की टीम के साथ कार्मिक कोषांग के नोडल पदाधिकारी सह भू-अजर्न अधिकारी भी उपस्थित थे. बता दें कि चुनाव डय़ूटी नहीं करने के लिए 800 कर्मियों ने आवेदन किया है.
सबकी अपनी-अपनी लाचारी. विशुनपुर श्रीराम पंचायत के सचिव नवल किशोर सिंह भी बोर्ड के समक्ष उपस्थित हुए. उन्होंने बताया कि 15 दिन पहले सड़क दुर्घटना हो गयी थी. इसमें उनका पैर टूट गया. इससे उन्हें चलने में कठिनाई हो रही है. परिजन उन्हें गोद में उठा कर कलेक्ट्रेट लेकर आये थे. वहीं, इंडियन ओवरसीज बैंक के सहायक मैनेजर वरुण चौधरी वैशाखी के सहारे बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत हुए. उन्होंने कहा कि उनके दोनों पैर काम नहीं करते. ऐसे में मतदान का काम करने में असमर्थ हूं.
गोकुला संस्कृत मध्य विद्यालय के शिक्षक परमानंद सिंह ने शारीरिक असमर्थता को बताया. उन्होंने कहा कि कुछ माह पहले लकवा का शिकार हो गये थे. चलने व खड़ा होने में तकलीफ होती है. पैर से विवश व राजकीय पॉलिटेक्निक में कार्यरत राम किशुन चौधरी ने कहा कि वैशाखी के सहारे चलने वाला व्यक्ति कैसे चुनाव करा सकता है. राजकीय मध्य विद्यालय रोघोपुर मीनापुर में कार्यरत शिक्षक वीरेंद्र शाही ने नि:शक्त होने का प्रमाण बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया.