शहर के स्कूल संचालक व अभिभावक ने बेबाकी से इस मसले पर अपनी बातें रखीं. कहा, बच्चों की सुरक्षा स्कूल प्रबंधन, अभिभावक व पुलिस सबकी है. बच्चों के माता-पिता के अलावे अगर कोई दूसरा अभिभावक आइकार्ड के साथ भी आता है तो उसे रोकें. उसके माता-पिता से बात कर वेरिफिकेशन करें. तब बच्चों को स्कूल कैंपस से सुरक्षित जाने दें. सभी ने सुरक्षा की चूक से संबंधित प्रमुख बिंदुओं पर गंभीरता से चर्चा की.
अगर कोई सवाल खड़ा होता है, तो उस पर प्रबंधन से बात करें. बच्चों को घर पर अकेले कभी नहीं छोड़े, माता-पिता बच्चों को स्मार्टफोस कभी न दें. बच्चों की उपस्थिति में उनसे बात करें. बच्चों की उपस्थिति में माता-पिता स्मार्टफोन पर लगे रहने के बजाय उन्हें प्रेरक कहानियां सुनाएं, उन्हें कहीं-कहीं घुमाएं. ऐतिहासिक, भौगौलिक व प्राकृतिक चीजों के महत्व के बारे में बताएं. इससे उनका ज्ञान विकसित होगा. आज बच्चों की पैरेंटिंग बहुत कम गयी है. बच्चों ने होम वर्क किया या नहीं, बच्चे घर में कैसी हरकत करते हैं? जानना बहुत जरूरी है. स्कूलों में पैरेंट्स मीटिंग होती है, उसमें निश्चित तौर पर जाएं. जिनके अभिभावक स्कूल में नियमित आते हैं, उनके बच्चों पर स्कूल प्रबंधन का खास ध्यान होता है. ऐसे अभिभावकों को स्कूलों में होनेवाली हर गतिविधियों की जानकारी होती है.
स्कूल प्रबंधन की जवाबदेही है कि बच्चे की सुरक्षा कैसे हो? इनका संपूर्ण विकास कैसे हो? इसके लिए स्कूल में रिड्रेसल सेल स्थापित हैं. इनमें वरिष्ठ शिक्षक होते हैं. महिला व पुरुष दोनों शिक्षक होते हैं. जो बच्चों की मॉनीटरिंग करते हैं.