मुजफ्फरपुर: कांटी प्रमुख व उप प्रमुख के चुनाव रद्द होने की एक मुख्य वजह चुनाव से संबंधित संचिका कोर्ट में पेश करने में प्रशासन की अक्षमता भी रहा. इसकी जगह कुछ चुनिंदा दस्तावेज ही पेश किये गये, जो प्रोसिडिंग बुक का हिस्सा थे. कोर्ट ने न सिर्फ इसे अपने आदेश के प्रतिकूल बताया, बल्कि दोनों पदों के लिए हुए चुनाव के कानूनी मान्यता पर भी सवाल उठाये हैं.
मुकेश कुमार पांडेय व अन्य पार्षदों की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के दौरान 12 जुलाई काे हाइकोर्ट ने डीएम धर्मेंद्र सिंह को प्रमुख व उप प्रमुख चुनाव से संबंधित संचिका पेश करने को कहा. कोर्ट के आदेश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने भी डीएम व एसडीओ को इसके लिए पत्र भेजा. बावजूद प्रशासन चुनाव से संबंधित संचिका कोर्ट में पेश नहीं कर सका.
जब कोर्ट ने इसका कारण पूछा, तो बताया गया कि प्रमुख व उप प्रमुख के नामांकन व चुनाव से संबंधित रिकॉर्ड अलग-अलग फाइल में रखा गया है. ऐसा बिहार पंचायत चुनाव अधिनियम के तहत किया गया है. हालांकि, प्रशासन की ओर से यह नहीं बताया गया कि आखिर कोर्ट में उन संचिकाओं को क्यों नहीं पेश किया गया? प्रशासन की ओर से जो प्रोसिडिंग बुक कोर्ट में पेश की गयी, उसमें भी यह साफ नहीं हो सका कि प्रमुख व उप प्रमुख चुनाव में नामांकन के दौरान कौन उनके प्रस्तावक बने व कौन गवाह! कोर्ट ने अपने फैसले में इस पर भी सवाल उठाये हैं.