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तीन साल में मात्र 867 बच्चों का ही नामांकन

मुजफ्फरपुर : प्राइवेट स्कूलों में आरटीइ के तहत गरीब बच्चों का नामांकन सिर्फ दिखावे के लिये रह गया है. अप्रैल 2010 में लागू होने के चार साल बाद भी निजी स्कूलों ने इस कानून को पूरी तरह लागू नहीं किया है. आंकड़ों के अनुसार तीन सालों में मान्यता प्राप्त 109 विद्यालयों में महज 867 छात्रों […]

मुजफ्फरपुर : प्राइवेट स्कूलों में आरटीइ के तहत गरीब बच्चों का नामांकन सिर्फ दिखावे के लिये रह गया है. अप्रैल 2010 में लागू होने के चार साल बाद भी निजी स्कूलों ने इस कानून को पूरी तरह लागू नहीं किया है. आंकड़ों के अनुसार तीन सालों में मान्यता प्राप्त 109 विद्यालयों में महज 867 छात्रों का आरटीइ के तहत नामांकन हुआ है. जबकि नियमानुसार तीन साल में आठ हजार 175 छात्रों का नामांकन होना चाहिए. आरटीइ लागू होने के बाद से निजी स्कूलों ने इसे लागू करने में खास दिलचस्पी नहीं दिखायी है. 25 फीसदी बच्चों का नामांकन आरटीइ के तहत करने पर स्कूलों ने अमल नहीं किया है. शुरू में कुछ निजी स्कूलों ने कानून के तहत नामांकन का कोट भी निर्धारित किया था. लेकिन अब फंड नहीं मिलने का हवाला देकर नामांकन से पल्ला झाड़ रहे हैं.

क्या है अधिनियम : शिक्षा का अधिकार अधिनियम सामाजिक व आर्थिक रूप से निर्बल, गरीब व कमजोर बच्चों की शिक्षा के लिये सहायक है. इसके तहत छह से 14 वर्ष तक के बच्चे को नि:शुल्क शिक्षा देनी है. हर बच्च पहली से आठवीं तक मुफ्त और अनिवार्य रूप से पढ़ेगा. सभी विद्यालय इस कानून के दायरे में आयेंगे. प्राइवेट स्कूलों को 25 फीसदी सीटों पर इन लोगों को नामांकन देना होगा.

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