आस्था. मंदिर के गर्भ गृह का द्वार खुला, देर रात अरघा से चढ़ा जल
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बारिश के बीच बाबा का जलाभिषेक
आस्था. मंदिर के गर्भ गृह का द्वार खुला, देर रात अरघा से चढ़ा जल मुजफ्फरपुर : पहली सोमवार पर इस बार बाबा गरीबनाथ मंदिर में कांवरियों का तांता नहीं लगा. आठ-दस कांवरियों के जत्थे ने कुछ देर अंतराल पर मंदिर में आकर बाबा को जलाभिषेक किया. यह सिलसिला रविवार की दोपहर से ही शुरू हो […]
मुजफ्फरपुर : पहली सोमवार पर इस बार बाबा गरीबनाथ मंदिर में कांवरियों का तांता नहीं लगा. आठ-दस कांवरियों के जत्थे ने कुछ देर अंतराल पर मंदिर में आकर बाबा को जलाभिषेक किया. यह सिलसिला रविवार की दोपहर से ही शुरू हो गया था. कांवरियों की संख्या कम होने के कारण गर्भ गृह से मंदिर के मुख्य द्वार तक अरघा नहीं लगाया गया. उन्हें गर्भ गृह में जाकर जलाभिषेक की सुविधा दी गयी. अमूमन सावन की पहली सोमवारी पर जलाभिषेक के लिए हर वर्ष रविवार को 25 से 30 हजार कांवरिये पहुंचते थे,
लेकिन रात्रि दस बजे तक कांवरियों का मुख्य ठहराव स्थल आरबीटीएस कॉलेज व आरडीएस कॉलेज में 200 कांवरियें ही रात्रि 12 बजे के इंतजार में रूके हुए थे. तुर्की से रामदयालु मार्ग भी खाली था. पांच-दस कांवरिये पांच-दस मिनट पर बाबा नगरी में प्रवेश कर रहे थे.
सावन नहीं होने से कांवरियों में कमी
सावन में हर सोमवारी के मौके पर रविवार की रात्रि 12 बजे से जलाभिषेक की परंपरा रही है. कांवरिये शहर में कभी भी पहुंचे, लेकिन रविवार की रात्रि 12 से पहले जलाभिषेक नहीं करते. उनकी मान्यता है कि रात्रि 12 बजे के बाद जलाभिषेक का मतलब सोमवार को जल अर्पित करना है. लेकिन इस बार सावन की शुरुआत सोमवार से हो रही है. ऐसे में रविवार की रात्रि 12 बजे के बाद जलाभिषेक को अधिकतर भक्त सावन नहीं मान रहे हैं. इस कारण इस बार कांवरियों की संख्या में काफी कमी रही. पंडितों की माने तो पहली सोमवारी पर आने वाले कांवरियों ने इस बार दूसरी सोमवारी में बाबा को जल चढ़ायेंगे. इस लिहाज से दूसरी सोमवारी को अधिक भीड़ रहेगी. आलम यह था कि रात्रि नौ बजे ही टावर से सरैयागंज रोड में सन्नाटा पसरा हुआ था. बारिश के कारण इस रोड की अधिकतर दुकानें भी बंद हो चुकी थी. कांवरिया रूट बदल जाने के कारण इस रोड में लाइट की भी बेहतर व्यवस्था नहीं थी. यहां से डीएन स्कूल तक का भी यही हाल था. स्कूल में 16 कांवरियां ठहरे हुए थे. बारिश के कारण यहां सिर्फ एक चाय की दुकान खुली थी. डीएन स्कूल के पास भी अंधेरा था. टावर से सरैयागंज चौक तक कांवरियों के लिए शिविर भी नहीं था.
गंदे पानी के बीच कांवरिये पहुंचे बाबा नगरी : पहली साेमवारी पर ही दो घंटे की बारिश से शहर की व्यवस्था की कलई खुल गयी. कांवरियों के लिए किये गये नगर निगम के सारे इंतजाम का सच सामने आ गया. हालत यह थी कि दो घंटे की बारिश के बाद से ही बाबा गरीबनाथ मंदिर के अलावा मक्खन साह चौक से छाता बाजार तक घुटना भर पानी लग गया. इस रास्ते कांवरिये कांधे पर रखे कांवर को बचाते हुए नाले की पानी होकर बाबा के द्वार तक पहुंच रहे थे.
ऐसा ही हाल कांवरियों के मार्ग में था. ऐसी कोई जगह नहीं थी, जहां से कांवरिये नाले के पानी से बच कर निकल जाये. कांवरियाें के मार्ग पर जल जमाव होने से महिला कांवरियों को काफी परेशानी हुई.ज्यादा बायें से मत चलिए नाला है. यह निर्देश आमगोला के लोग कांवरियों को दे रहे थे. आमगोला पुल से उतरने के बाद अघोरिया बाजार चौक तक की सड़क जलजमाव में डूबी थी. यहां नाला व सड़क का फासला पता नहीं चल रहा था. कांवरिये कांवर को बचाते हुए पानी से गुजर रहे थे.
इस रोड से कार व बाइक गुजरने के कारण कांवरियों को गंदे पानी के छींटे भी पड़ रहे थे, लेकिन उनके पास दूसरा विकल्प नहीं था. वे इस रास्ते आगे बढ़ रहे थे. आमगोला रोड स्थित चाय दुकान वाले ने कहा कि एक घंटे और बारिश हो जाती तो यहां कमर भर पानी लग जाता.
नहीं जल रही थी आमगोला पुल की लाइट
कांवरियों की सुविधा के लिए किये गये वादों की भी पोल खुली. एस्सेल ने आमगोला पुल पर पूरी लाइट की व्यवस्था नहीं की थी. यहां एक तरफ की लाइट बुझी थी तो दूसरे तरफ की भी सभी लाइट नहीं जल रही थी. पुल पर चढ़ने के रास्ते अंधेरा था. आसपास शिविर नहीं लगने के कारण यहां कांवरियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा.
आरबीटीएस कॉलेज में जाना मुश्किल
कांवरियों के लिए ठहराव स्थल आरबीटीएस कॉलेज में जाना मुश्किल था. कॉलेज के मुख्य द्वार कीचड़ से भरा था. फिसलन भी काफी थी. इस कारण यहां कांवरिये भी काफी कम आये. देर रात पूरे कॉलेज में 20 कांवरिये थे. मुख्य द्वार की स्थिति देख कांवरिये आगे बढ़ रहे थे. कई कांवरियों ने आरडीएस कॉलेज में शरण लिया.
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