बीडीओ व सीओ से भी इसकी सहमति लेनी होगी. फिलहाल, जिले की 37 पंचायतों में ही पंचायत भवन बना है. उसके हस्तानांतरण की प्रक्रिया जारी है. प्रक्रिया पूरी होने के बाद मुखिया, पंचायत सचिव सहित पंचायत सरकार से जुड़े सभी लोगों को प्रतिदिन उसमें बैठना अनिवार्य होगा.
वहीं, तकनीकी स्वीकृति प्रखंड स्तरीय जल स्वच्छता समिति देगी. राशि का भुगतान किसके माध्यम से होगा, यह अभी तय नहीं हुआ है. राज्य सरकार ने इसके लिए प्रत्येक वार्ड में वार्ड विकास समिति का गठन किया था, लेकिन मुखिया संघ ने इसे हाइकोर्ट में चुनौती दी है. फिलहाल वार्ड विकास समितियों को भंग कर दिया गया है. हाइकोर्ट के आदेशानुसार सरकार कोई फैसला लेगी. उन्होंने बताया कि प्रत्येक प्रखंड में कुल 18 संचिकाओं का संधारण जरूरी है. इसे पंचायत सचिव के माध्यम से संरक्षित रखवाने की जिम्मेदारी मुखिया की ही होती है.