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कोरोना जंग में डॉक्टरों की कमी पड़ रही भारी, आधे से अधिक पद हैं खाली

कोराना महामारी के समय जहां एक ओर डॉक्टर एवं स्वास्थ्यकर्मी भगवान के रूप में लोगों की जान बचाने में लगे हैं. वहीं, दूसरी ओर मुंगेर जिले में प्रतिदिन कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.

मुंगेर : कोराना महामारी के समय जहां एक ओर डॉक्टर एवं स्वास्थ्यकर्मी भगवान के रूप में लोगों की जान बचाने में लगे हैं. वहीं, दूसरी ओर मुंगेर जिले में प्रतिदिन कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. अब तक जिले में 125 लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. लेकिन राहत की बात यह है कि चिकित्सीय सेवा के बाद बड़ी संख्या में लोग ठीक भी हो रहे. लेकिन इस सबके बीच मुंगेर जिले में डॉक्टरों की कमी स्वास्थ विभाग एवं आम लोगों को कॉफी खल रही है. मुंगेर जिले के लगभग 17 लाख की आबादी के लिए सरकारी स्तर पर मात्र 61 चिकित्सक पदस्थापित हैं. जबकि 77 चिकित्सकों का पद रिक्त पड़ा हुआ है. अर्थात आधे से अधिक चिकित्सक का पद रिक्त है. इस परिस्थिति में स्वास्थ विभाग इमरजेंसी सेवा व ऑउट डोर के साथ ही कोराना महामारी से भी लड़ रही है. प्रमंडलीय मुख्यालय मुंगेर चिकित्सकों की घोर कमी से जूझ रहा है. एक ओर मुंगेर मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में जहां चिकित्सकों के 11 पद रिक्त हैं. वहीं जिले के एक मात्र तारापुर स्थित अनुमंडलीय अस्पताल में 20 पद रिक्त हैं. इस स्थिति में सदर अस्पताल में आम रोगियों को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना मुश्किल हो रहा है. क्योंकि सदर अस्पताल में इमरजेंसी सेवा के साथ ही ऑउट डोर का संचालन नियमित रूप किया जाना है. लेकिन यहां चिकित्सकों की घोर कमी है.

जानकारी के अनुसार मुंगेर सदर अस्पताल में चिकित्सकों के कुल स्वीकृत पद 30 हैं. जिसमें मात्र 19 चिकित्सक ही वर्तमान में पदस्थापित है. फलत: आम लोगों को हर प्रकार की स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने में मुश्किल हो रहा है.चिकित्सकों के 77 पद हैं रिक्त : मुंगेर जिले में यूं तो चिकित्सकों के स्वीकृत पदों की संख्या ही काफी कम है. क्योंकि जिस समय मुंगेर की आबादी लगभग दस लाख रही होगी उसी समय यहां चिकित्सकों के लिए 138 पद सृजित किए गए थे. लेकिन अब जब आबादी 17 लाख पहुंच चुकी है तो भी चिकित्सकों का पद नहीं बढ़ाया गया है. अलबत्ता जिले में स्वीकृत पद से आधे चिकित्सक भी पदस्थापित नहीं है. यहां चिकित्सकों के 77 पद रिक्त हैं. जिसके कारण स्वास्थ्य व्यवस्था को सुचारू रखने में विभाग परेशान है. इनमें भी कई चिकित्सक स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न प्रशासनिक पदो का निर्वहन कर रहे. जिसके कारण वे आम रोगियों का इलाज नहीं कर पाते हैं. इस स्थिति में जबकि अब कोरोना जैसे महामारी में चिकित्सकों की आवश्यकता महसूस की जा रही. तो जिले में चिकित्सकों की कमी विभाग को परेशान कर रहा है.

सदर अस्पताल से लेकर विभिन्न प्रखंडों के कई चिकित्सकों को कोरोना ड्यूटी में लगाया गया है. आयुष चिकित्सक से भी कोरोना ड्यूटी का कार्य लिया जा रहा. फलत: ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्र व अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति काफी खराब है. हालात यह है कि कई प्रखंड में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी तक स्थाई रूप से पदस्थापित नहीं है. मुंगेर जिले के टेटियाबंबर प्रखंड स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी का दायित्व संग्रामपुर पीएचसी के प्रभारी निभा रहे हैं. इस परिस्थिति में पीएचसी के प्रशासनिक व्यवस्था भी चरमरा गई है. जिले में 27,866 व्यक्ति पर है एक चिकित्सक : विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार एक हजार व्यक्ति पर एक चिकित्सक होना जरूरी है. किंतु मुंगेर जिले की वर्तमान आबादी के अनुसार जिले में 27,866 व्यक्ति पर एक चिकित्सक ही उपलब्ध हैं.

वर्तमान में जिले की आबादी 17 लाख है. लेकिन यहां मात्र 61 चिकित्सक पदस्थापित हैं. जिले में 77 चिकित्सकों का पद खाली है.मुंगेर के सात प्रखंड कोरोना प्रभावित मुंगेर जिले के सात प्रखंड वर्तमान में कोविड-19 से प्रभावित है और यहां लगातार कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है. जिले के मुंगेर सदर, जमालपुर, धरहरा, बरियारपुर, हवेली खड़कपुर, टेटियाबंबर एवं तारापुर प्रखंड में कोरोना संक्रमित व्यक्ति पाए गए हैं. वैसे इनमें से अधिकांश लोग प्रवासी मजदूर हैं. जो देश के विभिन्न कोरोना प्रभावित क्षेत्र से मुंगेर लौटे हैं और अब वह यहां संक्रमित पाये गये हैं.

जिनका इलाज सरकारी स्तर पर हो रहा है. ऐसे में प्रशासनिक स्तर पर भी चिकित्सकों की आवश्यकता महसूस की जा रही. लेकिन चिकित्सकों की कमी के कारण उन्हीं चिकित्सकों के भरोसे स्वास्थ्य विभाग का नया चलाया जा रहा है. कहते हैं सिविल सर्जन सिविल सर्जन डॉ पुरुषोत्तम कुमार ने कहा कि पूरे राज्य में चिकित्सकों की कमी है. चिकित्सकों के रिक्त पदों पर पदस्थापन के लिए विभाग से कई बार अनुरोध किया गया है. वैसे फिलहाल जो चिकित्सक उपलब्ध हैं, उसी से बेहतर कार्य लेने का प्रयास किया जा रहा है.

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