मुंगेर: जामा मसजिद स्थित मदरसा तजबीदुल कुरान की ओर से 65 साल बाद हुई ऐतिहासिक दस्तार बंदी जलसे में मुंबई से मौलाना मुनीर अहमद मुजाहिरी तथा दारुल उलूम देबवंद से आमंत्रित असद मदमी ने अन्य दस इमाम एवं मौलाना के साथ कुरान शरीफ हिज्ब किये. 56 बच्चों की दस्तार बंदी विशाल जलसे में किया.
मदरसा के सचिव हजरत मौलाना अब्दुल्लाह बुखारी ने इस ऐतिहासिक मदरसे के स्थापना के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए सचिवीय प्रतिवेदन में कहा कि अनेक कठिनाइयों के बावजूद मदरसा तरक्की पर है. मात्र एक साल के अंदर सौ से अधिक बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ है.
अनेक कठिनाइयों के बीच अपने वालिदों के बाद उन्होंने मुंगेर के इस प्रतिष्ठित मदरसा की साख बढ़ायी है. जिसमें उनके होनहार पत्र मुफ्ती अताउल्लाह शाह बुखारी की मेहनत विशेष रंग लायी. देबवंद के अतिथि असद मदनी ने अपने तकरीर में कुरान के मुख्य नसीहतों सच्चई, ईमानदारी, बाप-बेटे, परिवार और पड़ोसी के बीच इनसानी फर्ज की चर्चा करते हुए बताया कि समाज की मर्यादा धरती पर तभी कायम रह सकेगी जब छुटपन से ही बच्चों को धार्मिक शिक्षा दी जायेगी.
अन्य आमंत्रित सूफी धारा के मुंबई निवासी मौलाना मुनिर अहमद मुजाहिरी ने कहा कि सिर्फ बातें बनाने से कुछ नहीं होता. काम करके दिखाने वाले ही कामयाबी हासिल करते हैं. काम करने के लिए गांव मुहल्लों के बुद्धिजीवी लोगों को शुरू से ही बच्चों में बिना कोई भेदभाव पैदा किये गुरबत की दौलत सौ फीसदी मजहबी तालिम के जरिये दी जानी चाहिए. इनके अलावे जनाब सफरुद्दीन हजरत मौलाना वहाबउद्दीन बुखारी, एहतेशाम आलम, मौलाना मकबूल हसन ने भी ज्ञानवर्धक तकरीर पेश की. जलसे का संचालन कर रहे मुफ्ती अता उल्लाह शाह बुखारी ने कुरान शरीफ की तालिम देने के पहले उस्ताद को पूरी तरह तैयार होने की नसीहत दी.
बच्चों ने आकर्षक नात तरन्नुम में पेश किया
17 जिलों के 56 बच्चों की दस्तारबंदी से पहले बच्चों ने आकर्षक नात तरन्नुम में पेश किया. एक खुशबू से भर गया, मदिना रसूल का, मेरे नवी के जैसा कोई भी आया नहीं है. इस अवसर पर डॉ शाकिर हसन सिद्दीकी, डॉ बहावउद्दीन, डॉ शब्बीर हसन, डॉ मो. रइश, शाह मोहम्मद सिद्दीकी, मो. अब्दुल्ला, वार्ड आयुक्त शाकिर हुसैन सिद्दीकी, मो. फैयाज अख्तर सहित हजारों लोगों ने दस्तार बंदी समारोह में शामिल होकर तकरीर का लाभ उठाये.