जहां वर्तमान समय में तीन कर्मचारी कार्यरत हैं. जिसका असर यहां के क्षेत्रों पर व्यापक रूप से पड़ा और जो चिट्ठी यहां के जरूरत मंद 4 दिन में प्राप्त कर लेते थे. अब वही चिट्ठी अब 14 से 15 दिनों में मिलता है. जिसके कारण यहां के कई छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. क्योंकि विभाग के लापरवाही के कारण कई परीक्षार्थियों का बुलावा पत्र उसके परीक्षा समाप्त होने के बाद ही आता है.
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बंद हो गयी ब्रिटिशकालीन आरएमएस सेवा
जमालपुर: ब्रिटिश कालीन रेल डाक सेवा जमालपुर जिले के लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण था. अविलंब डाक पहुंचाने के लिए लोग आरएमएस का सहारा लेते थे जो आखिरकार बंद हो गयी. आरएमएस सेवा लौह नगरी जमालपुर के लिए इतिहास बन कर रह गया. ब्रिटिश काल में 1862 में स्थापित रेल इंजन कारखाना के कुछ ही […]
जमालपुर: ब्रिटिश कालीन रेल डाक सेवा जमालपुर जिले के लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण था. अविलंब डाक पहुंचाने के लिए लोग आरएमएस का सहारा लेते थे जो आखिरकार बंद हो गयी. आरएमएस सेवा लौह नगरी जमालपुर के लिए इतिहास बन कर रह गया.
ब्रिटिश काल में 1862 में स्थापित रेल इंजन कारखाना के कुछ ही दिनों के उपरांत जमालपुर में रेल डाक सेवा आरएमएस की स्थापना हुई. जिसके माध्यम से आदान-प्रदान होता रहा. आम लोग भी इस सेवा का लाभ उठाते थे. रोजाना 30 हजार चिट्ठी यहां से दूसरे जगहों के लिए जाती थी. जिसकी छंटनी के लिए दर्जनों स्थायी कर्मचारी तैनात थे. लेकिन विभागीय उदासीनता एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि के उदासीनता के कारण 2006 में यहां से आरएमएस का स्थानांतरण किऊल जंकशन कर दिया गया और जमालपुर में एक छोटी इकाई टीएमओ बना कर छोड़ दिया गया.
कहते हैं डीआरएम
डीआरएम राजेश अरगल ने कहा कि आरएमएस सेवा जमालपुर में संग्रह हो इसे लेकर फिलहाल रेलवे की कोई योजना नहीं है.
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