प्रतिनिधि , संग्रामपुर विभागीय अकर्मण्यता के कारण पेयजलापूर्ति विभाग अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पा रहा है. सरकार के लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद जलापूर्ति नहीं हो पा रही है. या यूं कहे कि यह योजना सिर्फ लूट-खसोट का जरिया बन कर रह गया है. संग्रामपुर प्रखंड में पेयजलापूर्ति विभाग का कार्यालय करीब 30 वर्षों से कार्यरत है. लेकिन यहां न तो अधिकारी रहते हैं और न ही निम्न कर्मचारी. विभागीय कार्यालय में ताला लटका रहता है.करीब 30 वर्ष पूर्व संग्रामपुर में पेयजलापूर्ति के लिए पाइप लाइन बिछाने का कार्य कराया गया. लेकिन जलमीनार का निर्माण कार्य 13 फरवरी 2009 को पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विकास यात्रा के दौरान शिलान्यास के बाद प्रारंभ किया गया. 22 लाख की लागत से 50 हजार गैलन के जलमीनार का निर्माण प्रारंभ हुआ. लोगों को उम्मीद थी कि अब उन्हें जलापूर्ति का लाभ मिलेगा. परंतु आधा कार्य होने के बाद निर्माण कार्य बंद कर दिया गया, जो आजतक अधूरा पड़ा है. पाइप लाइन की मरम्मती के नाम पर अभी तक तीन बार कार्य कराया जा चुका है. हर बार पुराने पाइप को उखाड़ कर बदलने के बजाय उसी को लगा दिया जाता है. इससे संवेदक और अधिकारी तो लाभान्वित होते रहते हैं. वर्तमान समय में विभाग के कनीय अभियंता सुबोध पंडित यहां के प्रभार में हैं जो कभी उपलब्ध नहीं रहते. पेयजलापूर्ति पर मुख्यालय के मुखिया शंभु भगत कहते हैं कि यहां पेयजलापूर्ति के जलमीनार का निर्माण प्रारंभ हुआ जो आजतक पूरा नहीं हो पाया. बताया जाता है कि जलमीनार के पास बोरिंग सफल नहीं हो पा रहा है.
विभागीय उदासीनता से पेयजलापूर्ति योजना पर लगा ग्रहण
प्रतिनिधि , संग्रामपुर विभागीय अकर्मण्यता के कारण पेयजलापूर्ति विभाग अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पा रहा है. सरकार के लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद जलापूर्ति नहीं हो पा रही है. या यूं कहे कि यह योजना सिर्फ लूट-खसोट का जरिया बन कर रह गया है. संग्रामपुर प्रखंड में पेयजलापूर्ति विभाग का कार्यालय करीब […]
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