प्रशिक्षक जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ अताउर रहमान, जिला समन्वयक संजीव सुमन ने प्रशिक्षणार्थियों को बताया कि गर्भ धारण करने वाली महिलाओं एवं परिजनों को यह जानकारी नहीं होती है कि गर्भवती होने के बाद क्या-क्या सावधानी बरती जाय.
प्रशिक्षकों ने बताया कि तीसरी तिमाही में दो घर जाकर गर्भवती महिला से भेंट करे. सातवें माह में गर्भवती महिला का हम गृह भेंट करे.
परिवार से मिल कर अस्पताल में प्रसव की तैयारी करने, घर में प्रसव की क्या तैयारी है, जिम्मेदार व्यक्ति प्रसव की तैयारी में शामिल है या नहीं इसकी जानकारी प्राप्त करे. तैयारी में कमियां हो तो उचित परामर्श दे. नौवें माह में दुबारा गृह भेंट करें और प्रसव की पूर्ण तैयारी का जायजा ले. ऐसा करने से न सिर्फ मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी आयेगी बल्कि बच्चे कुपोषण के शिकार होने से भी बचेंगे. मौके पर सीआरसी आशिष द्विवेदी, डीआरजी दुलार, सुनील कुमार, ज्वाला भारती मौजूद थी.