मुंगेर : सदर अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड के ऊपरी तल्ले पर पोषण पुनर्वास केंद्र खोला गया. जिसे चलाने का जिम्मा बेगूसराय के एक एनजीओ को दिया गया. हाल यह है कि न तो कुपोषित बच्चों का सही देखभाल हो रहा है और न ही उसे एवं उसके परिजनों को भरपेट भोजन दिया जा रहा है.
इतना ही नहीं यहां कार्यरत कर्मचारियों को भी 9 माह से वेतन नहीं दिया जा रहा है. कुपोषित बच्चों के उचित इलाज के लिए सरकार के निर्देश पर सदर अस्पताल परिसर में बड़े ही धूमधाम से पोषण पुनर्वास केंद्र का उद्घाटन तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने किया था.
कुछ दिनों तक केंद्र पर सारी व्यवस्था व्यवस्थित रही अब वहां कवाड़ा जैसी स्थिति बनी हुई है और बदबू भी दे रही. कुपोषित बच्चों को पौष्टिक खाना नहीं दिया जा रहा है. उसके साथ रह रहे एक परिजन को भी भर पेट भोजन भी नहीं दिया जाता. केंद्र में एनजीओ का नर्स, सिक्यूरिटी गार्ड मिलाकर कुल 17 कर्मचारी कार्यरत है. जिसे 9 माह से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है.
बताया जाता है कि एनजीओ को ही कर्मचारियों का वेतन भुगतान करना है. क्योंकि सरकार द्वारा एनजीओ को ही जिला स्वास्थ्य प्रबंधक कार्यालय से भुगतान किया जाता है. कर्मचारी किशन कुमार ने बताया कि उसके नाना का देहांत हो गया. घर की स्थिति अच्छी नहीं है.
फिर भी श्रद्धकर्म में सम्मलित होने के लिए उसे पैसे की आवश्यकता है. यहां कार्य करने वाले सभी कर्मचारी आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है. विदित हो कि केंद्र पर आशा एवं आंगनबाड़ी सेविकाओं की मदद से कुपोषित बच्चों को केंद्र पर लाया जाता है. जिसका 21 दिनों तक केंद्र पर रखकर इलाज किया जाता है.
बच्चे एवं उसके एक एटेडेंट को भोजन भी दिया जाता है. साथ ही आने जाने के लिए 125-125 रुपये दिये जाते हैं. जो कि पूर्व के तीन बैचों के बच्चों को इस राशि से वंचित रखा गया है. कुपोषित बच्चों के परिजन कर्मचारियों को पैसे देने के लिए तंग कर देते हैं.
सदर प्रखंड के तौफिर निवासी 21 माह के शिवम कुमार की मां नीतू देवी, हेमजापुर के 16 माह की निशा कुमारी की मां माला देवी ने बताया कि यहां पीने का पानी तक की व्यवस्था नहीं है. एक्वागार्ड मशीन खराब है. तीन टाइम जो भोजन मिलता है. उससे पेट भी नहीं भरता है. हाथ धोने के लिए साबुन तक नहीं मिलता है.
* जिला स्वास्थ्य समिति से फरवरी माह तक का भुगतान किया गया है. जनवरी माह तक के वेतन का भुगतान कर्मचारियों को कर दिया गया. एक्वागार्ड मशीन जरूर खराब है लेकिन भोजन भर पेट दिया जाता है. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों एवं कुपोषित बच्चों के परिजनों का आरोप निराधार है.
कौशलेंद्र कुमार, केंद्र के संचालक