womens day 2021 : महिला समृद्धिकरण में जीविका की बढ़ रही भूमिका, खेल, कला और रोजगार के क्षेत्र में कमा रहीं नाम

जीवन में सफलता का मूलमंत्र है मेहनत. मातृशक्ति खेल, शिक्षा, रोजगार, कला और संस्कृति के क्षेत्र में खूब नाम कमा रही है.

By Prabhat Khabar | March 8, 2021 12:21 PM

पंडौल. जीवन में सफलता का मूलमंत्र है मेहनत. मातृशक्ति खेल, शिक्षा, रोजगार, कला और संस्कृति के क्षेत्र में खूब नाम कमा रही है. इसी उद्देश्य से आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर उन्हें सम्मानित किया गया. ताकि महिलाओं को उसके हक और अधिकार दिलाया जा सके. उन्हें भी समाज में बराबरी का हक मिले.

आज महिलाएं बुलंदियों व विकास की नई इदाबत भी लिख रही है. जिसके कारण समाज में महिलाओं की एक नई पहचान मिली है. जिले के कुछ चुनिंदा महिलाओं से रू-ब-रू होते हैं. जिन्होंने इतिहास पूरी तरह से बदल दिया है. महिला सशक्तिकरण एवं आर्थिक समृद्धिकरण में अहम भूमिका निभा रही है.

मधुबनी चित्रकला से मिली पहचान

राजनगर प्रखंड के नीतू देवी को मधुबनी पेर्टिग के क्षेत्र में प्रेरणा का श्रोत मानी जाती है. इसके लिये उन्हें पहली बार अस्सी रुपये मिले थे. चित्रकारी ने उन्हें जुजूनी बना दिया. फिर समूह से प्रेरणा लेकर कला को आगे बढ़ाया. वर्तमान में इस कला के माध्यम से तीन लाख रूपये कमा लेती हे. उनकी पहचान सिद्धहस्त कलाकार के रूप में होने लगी है.

अगरबती उद्योग से बनें आत्मनिर्भर

पंडौल प्रखंड के भवानीपुर गांव की रहने वाली रामदाई देवी 2009 में जीविका से जुड़कर समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में सफल रही. समूह की महिलाएं गांव में कपड़े व सत्तू, अगरबती, सिलाई की दुकान चलाकर आत्मनिर्भर बनी है. जीविका के माध्यम से सैकड़ों दीदी को साक्षर भी बनाया है.

जीविका से मिली जीवन में बदलाव की प्रेरणा

बेनीपट्टी प्रखंड के सरिसब गांव निवासी उर्मिला देवी के जीविका से जुड़ने के बाद हजारों घरों में बदलाव की लहर चल पड़ी. उर्मिला ने आर्थिक और सामाजिक स्तर पर बदलाव के संर्घ को एक नया आयाम दिया. जीविका द्वारा उन्नीस समूह और एक संगठन के महिलाओं को रोजगार से जोड़कर परिवार की आर्थिक स्थित को सुदृढ़ बनाने में अहम भूमिका निभाई.

पशुपालन को बनाया जीवन का आधार

बेनीपट्टी प्रखंड के सरिसब गांव की नाजो खातून ने सामुदायिक संसाधन सेवी बनकर परिवार को सुदृढ़ बनाने का कार्य किया. जिससे उनके जीवन में आश्चर्यजनक बदलाव आया. उन्हें समूह से कई जीवनदायनी प्रेरणा मिली. पशुपालन कर आर्थिक स्थिति में सुधार होते गया. जिसके बदौलत स्वयं का रोजगार शुरू कर आत्मनिर्भर बनी.

Posted by Ashish Jha

Next Article

Exit mobile version