भगवान बुद्ध के दर्शन को जानना आवश्यक

अकादमी मधुबनी के तत्वाधान में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर निदेशक प्रो नरेंद्र नारायण सिंह निराला के आवास पर बोधिचक्र में प्रकाशित शोध आलेख "मधुबनी जिला के बौद्ध स्थल दशा-दिशा " विषय पर गुरुवार को व्याख्यान का आयोजन हुआ.

By Prabhat Khabar Print | May 23, 2024 10:22 PM

मधुबनी. अकादमी मधुबनी के तत्वाधान में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर निदेशक प्रो नरेंद्र नारायण सिंह निराला के आवास पर बोधिचक्र में प्रकाशित शोध आलेख “मधुबनी जिला के बौद्ध स्थल दशा-दिशा ” विषय पर गुरुवार को व्याख्यान का आयोजन हुआ. प्रो. निराला ने कहा कि बुद्ध की मूर्ति मधुबनी समाहरणालय के परिसर में, वाचस्पति संग्रहालय अन्धराठाढ़ी और विदेश्वर स्थान में है, लेकिन पंडौल के निकट जरहटिया गांव में खुले आकाश में एक चबूतरे पर बुद्ध की मूर्ति असंरक्षित है. इसके कारण यह तस्करों को खुला आमंत्रण दे रहा है. पस्टन में बौद्ध स्तूप है, इस पर जलमीनार खड़ा कर दिया गया है जिससे ऐतिहासिक विरासत एवं साक्ष्य की क्षति हो रही है. इस सब बिंदुओं पर प्रशासन उदासीन है. ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण के प्रति बुद्धिजीवी समाज, राजनेता और प्रशासन सभी असंवेदनशील हैं. संग्रहालय अध्यक्ष डॉ शिवकुमार मिश्र ने कहा कि मूर्तियों में तो प्राण नहीं है लेकिन वह सब कुछ बोलती है. मिथिला चित्रकला पर पीएचडी कर चुके डॉ. एस बालक ने कहा कि बिहार बुद्ध की धरती है. सम्राट अशोक यहीं से पूरी दुनिया में बुद्ध के विचार ले गये. मिथिला में जगह-जगह बुद्ध की मूर्ति मिलना यह दर्शाता है कि आम जनमानस में बुद्ध कैसे रचे बसे थे. आज भी मिथिला के प्राचीन लोक चित्रकला में बुद्ध का चित्र कलाकारों द्वारा बनाए जा रहा है. देश-विदेश में यह प्रदर्शित हो रहे हैं. अवकाश प्राप्त डीआईजी चंद्रशेखर दास ने कहा कि बौद्ध दर्शन का अध्ययन एवं इसके अनुयायी वैश्विक स्तर पर है. भोलानंद झा ने कहा कि बौद्ध दर्शन में निहित ज्ञान एवं यौगिक क्रियाएं शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए काफी लाभप्रद है. डॉ शिव कुमार पासवान ने कहा कि बौद्ध अध्ययन इतना लोकप्रिय एवं महत्वपूर्ण है कि इसका अध्यापन भारत एवं विश्व के कई विश्वविद्यालय में होता है. डॉ आदित्य कुमार सिंह ने कहा कि आज के आतंकवाद एवं युद्ध की स्थिति में विश्व के राजनेता को बुद्ध से अहिंसा शांति एवं सह अस्तित्व की सीख लेनी चाहिए. डॉ दीपक त्रिपाठी ने कहा कि बुद्ध से संदर्भित पाली एवं प्राकृतिक भाषा के संरक्षण पर विचार किया जाना चाहिए. उदय जायसवाल ने कहा कि बुद्ध हमेशा प्रासंगिक रहेंगे. पूर्व संग्रहालय अध्यक्ष डा. ओम प्रकाश पांडे ने धन्यवाद ज्ञापन के क्रम में कहा कि वर्तमान सभ्यता एवं संस्कृति में समस्याओं से निजात पाने एवं सुखी रहने के लिए बुद्ध दर्शन को जानना जरूरी है.

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