गरीबी के कारण नहीं किया अंतिम संस्कार, शव को नहर में फेंका

मधेपुरा : बिहार के मधेपुरा में कुमारखंड थाना के भतनी ओपी अंतर्गत रौता पंचायत के मचहा गांव में नहर पर बसे महादलित समुदाय के परिवार ने गरीबी के कारण अपने तीन वर्षीय पुत्री का अंतिम संस्कार तक नहीं कर सके और शव को बिना कफन के ही नहर में फेंक दिया. जानकारी के अनुसार पंचायत […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 1, 2019 9:45 PM

मधेपुरा : बिहार के मधेपुरा में कुमारखंड थाना के भतनी ओपी अंतर्गत रौता पंचायत के मचहा गांव में नहर पर बसे महादलित समुदाय के परिवार ने गरीबी के कारण अपने तीन वर्षीय पुत्री का अंतिम संस्कार तक नहीं कर सके और शव को बिना कफन के ही नहर में फेंक दिया.

जानकारी के अनुसार पंचायत के वार्ड संख्या-03 स्थित मचहा गांव में रानीपट्टी उपवितरणी नहर पर बसे महादलित समुदाय के डोम जाति से आने वाले स्थानीय कारी मल्लिक ने गरीबी और दरिद्रता के कारण तीन वर्षीय पुत्री मौसम कुमारी का अंतिम संस्कार तक नहीं कर सके. उन्होंने बिना कफन के ही बच्ची की शवको रविवार की शाम नहर के गढ्ढे में फेंक दिया. सोमवार की सुबह नहर में लावारिस रूप में फेंके बच्ची की शव को देखकर ग्रामीणों ने इसकी सूचना अनुमंडल पदाधिकारी वृंदालाल को दे दी.

सूचना पाते ही अनुमंडल पदाधिकारी ने अंचलाधिकारी जयप्रकाश राय को निर्देश देते हुए कहा कि स्थल पर जाकर मामले की जांच करें एवं शव को स्थानीय पुलिस के सहयोग से पोष्टमार्टम करवाने को कहा. एसडीओ के निर्देश पर सीओ राजस्व कर्मचारी हेम कुमार झा के साथ पहुंच कर नहर के अंदर फेंके शव को बाहर निकलवाया एवं मामले की जांच की.

इस दौरान नहर पर बसे कारी मल्लिक ने शव को पुत्री बताया तथा जन्म से विकलांग और बीमार रहने की बात बताते हुए रविवार को मृत्यु हो जाने की बात बताया तथा कहा कि गरीबी के कारण बिना कफन के ही शव को नहर के गढ्ढे में फेंक दिया. उन्होंने शव का अंतिम परीक्षण कराने से इन्कार करते हुए लंबी बीमारी के कारण मौत होने की बात कही.

महादलित परिवार के श्री मल्लिक की बात सुनकर सीओ और कर्मचारी का कलेजा द्रवित हो गया. मौके पर राशि उपलब्ध करा कर शव को हिंदू रीति रिवाज के तहत अंतिम संस्कार करने को कहा. मालूम हो कि अनुसूचित जाति जन जाति कल्याण मंत्री डाॅ. रमेश ऋषिदेव का पैतृक गांव एवं आवास इसी गांव में है और सरकार के गांव में भी वास विहीन भुमि के कारण लोग नहर पर आवास बनाकर जीवन यापन करते हैं जिन्हें मूलभूत सुविधा भी उपलब्ध नहीं है.

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