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बड़हिया टाल में विलुप्त हो रही चना की खेती

बड़हिया टाल में विलुप्त हो रही चना की खेती लखीसराय. जिले के बड़हिया टाल में चना की खेती धीरे-धीरे विलुप्त होने की कगार पर है. जिससे स्थानीय किसानों को चने की दाल व साग के लाले पड़ रहे हैं. 13 सौ हेक्टेयर में फैले बड़हिया टाल को दाल का कटोरा कहा जाता है, लेकिन पिछले […]

बड़हिया टाल में विलुप्त हो रही चना की खेती लखीसराय. जिले के बड़हिया टाल में चना की खेती धीरे-धीरे विलुप्त होने की कगार पर है. जिससे स्थानीय किसानों को चने की दाल व साग के लाले पड़ रहे हैं. 13 सौ हेक्टेयर में फैले बड़हिया टाल को दाल का कटोरा कहा जाता है, लेकिन पिछले कुछ सालों में जिस तरह चना सहित अन्य दलहन उत्पादन का ग्राफ गिरा है उससे किसान परेशान हैं. इस इलाके के किसान नवंबर माह में रबी फसल चना, मसूर, केराव, खेसारी, राय आदि का उत्पादन कर उससे साल भर अपने परिवार का भरण-पोषण करते रहे हैं. 1980 के दशक तक यहां के किसान बड़े पैमाने पर चना की खेती करते थे. लेकिन इसके बाद चना उत्पाद का ग्राफ लगातार गिरने लगा. जिससे बड़हिया टाल क्षेत्र के किसान चना की खेती को लेकर उदासीन होते गये. अब इस टाल में नाममात्र के ही चना की खेती होती है. इस वर्ष टाल के एक सौ बीघा में लगे चना की खेती बर्बाद होने से क्षेत्र के किसान मायूस हैं. किसान विकास कुमार ने बताया कि टाल क्षेत्र में टाल क्षेत्र में चना की पैदावार लगातार गिरने से चना की खेती करने वाले किसानों के हौसले पस्त हो गये हैं. कीड़ा खोरी की वजह से भी किसानों को काफी क्षति हुई. किसान दशरथ सिंह के मुताबिक चना की खेती करने वाले किसानों को उनका लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है. इसलिए टाल क्षेत्र के किसान का चना की खेती से मोह भंग हो चुका है.

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