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बदली कनकई की धारा, काल के गाल में समायेंगे ग्वालटोली सहित दर्जनों गांव

कनकई नदी के धार बदलने से जिले के दिघलबैंक प्रखंड के पथरघट्टी पंचायत के ग्वालटोली गांव सहित कई एकड़ खेती की जमीन का अस्तित्व ही खतरे में है. कनकई नदी की बदलते धार को देखकर लोग भयभीत हैं.

दिघलबैंक : कनकई नदी के धार बदलने से जिले के दिघलबैंक प्रखंड के पथरघट्टी पंचायत के ग्वालटोली गांव सहित कई एकड़ खेती की जमीन का अस्तित्व ही खतरे में है. कनकई नदी की बदलते धार को देखकर लोग भयभीत हैं. इसके रोकने के लिए सैकड़ों ग्रामीण ने एक लिखित आवेदन जिला पदाधिकारी को सौंपा है. कि जल्द से जल्द नदी के बदलते धारा को रोका जा सके नहीं तो यहां के लोगों का जीना दुश्वार हो जायेगा. कनकई नदी के निकट पूरब दिशा में बरसाती नदी व चौन जमीन है. नदी चौन में समा रही हैं जिससे बरसाती नदी मे कंकई नदी की धार परिवर्तन हो जायेगा. और बरसाती नदी के किनारे दर्जनों गांव, स्कूल, सड़क इत्यादि एक साथ ही नदी में विलीन हो जायेंगे , साथ ही दर्जनों गांव काल के गाल में तो समायेंगे ही, कूढ़ेली से टेढ़ागाछ जाने वाली सड़क में निर्माणाधीन उच्च स्तरीय दो प्रधानमंत्री मिसिंग ब्रीज भी खत्म हो जाएगा.इसके बड़े दुष्प्रभाव देखने को मिलेंगे.

क्या है कारण :

भौगोलिक रूप से बिहार की तुलना में नेपाल काफी ऊंचाई पर बसा हुआ है जहां के पहाड़ी इलाकों में होने वाली जबरदस्त बारिश विभिन्न स्रोतों के माध्यम से नदियों को भर देता है जिसके बाद बलखाती हुई नदियां पहाड़ी क्षेत्र से गुजरकर जैसे ही बिहार के समतल मैदानी इलाकों में आती है किनारे पर बसे गांव और इलाकों पर कहर बड़पाती है.हर साल ये नदियां अपने जल के साथ कंकड़, पत्थर,बालू का भंडार लेकर आती है और जिस वजह से नदियों की गहराई कम होती जा रही है.साथ ही इन कारणों से नदी की धारा भी बदल रही है. कई जगहों पर कनकई नदी अपनी असली प्रवाह से अलग होकर बहने के प्रयास में है जिस कारण वहां कटाव का खतरा मंडराने लगा है.और कमोबेस यही हालत अन्य दूसरी जगहों पर भी है.

अवैध खनन भी बड़ा कारण है

बढ़ती जनसंख्या और तेजी से हो रहे निर्माण कार्य भी इस तरह के समस्या का प्रमुख कारण है,इसके अलावे प्रदुषण भी एक बड़ा कारण है क्योंकि कूड़ा कचड़ा डंपिंग की व्यवस्था नही होने से सभी कचड़ा नदियों में ही डाला जा रहा है.इसके अलावे भी कई ऐसे कारण है जो नदियों की गहराई को समाप्त करती जा रही हैं. ग्रामीणों की माने तो कनकई के कटाव का स्थायी समाधान नहीं होने से हर वर्ष यहां के लोगों को तबाही झेलनी पड़ती है. प्रतिवर्ष सैकड़ों एकड़ उपजाउ जमीन कनकई में विलीन हो जाता है.

posted by ashish jha

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