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जल स्तर बढ़ा, चचरी पुल पर संकट

बाढ़ का प्रकोप . जिले के सभी प्रखंडों के अधिकतर गांव नदी किनारे ही बसे हैं लगातार बारिश की वजह से किशनगंज में नदियों ऊफान पर हैं ़ नदियों के जलस्तर बढ़ने से लोगों में दहशत बढ़ता जा रहा है़ किशनगंज : जिले में लगातार हो रही बारिश से नदियों के जल स्तर में भी […]

बाढ़ का प्रकोप . जिले के सभी प्रखंडों के अधिकतर गांव नदी किनारे ही बसे हैं

लगातार बारिश की वजह से किशनगंज में नदियों ऊफान पर हैं ़ नदियों के जलस्तर बढ़ने से लोगों में दहशत बढ़ता जा रहा है़
किशनगंज : जिले में लगातार हो रही बारिश से नदियों के जल स्तर में भी बढ़ोत्तरी हुई है़ इससे नदी किनारे रहने वाले लोग भी दहशत में हैं. जिले के सभी प्रखंड के अधिकतर गांव व कस्बे नदियों के किनारे ही बसे हैं. इन दिनों लगातार बारिश हो रही है. बारिश के चलते नदियां भी उफान पर हैं. हालांकि किशनगंज जिले की कौल, कनकई, महानंदा, डोंक व मेची नदियां अभी खतरे के निशान से नीचे है. परंतु जिस प्रकार जलस्तर बढ़ रहा है. उससे नदी के किनारे रहने वाले लोग दहशत में हैं.
जिले में बहने वाली पांचों नदियों का जल स्तर काफी बढ़ गया है. मंगलवार को किशनगंज जिले में रूक रूककर बारिश का दौर भी जारी रहा. आपदा प्रबंधन की माने तो नदियां अभी खतरे के निशान से नीचे हैं. परंतु विभाग नदियों के किनारे रहने वाले लोगों से सतर्कता बरतने की अपील की है. टेढ़ागाछ प्रतिनिधि के अनुसार कौल, रतुआ और कनकई नदी में पानी बढ़ने से प्रखंड क्षे़त्र के लौचा घाट पर बना चचरी पुल ध्वस्त होने की कगार पर पहुंच गया है.
लगातार बारिश होने से मंगलवार की रात तक चचरी पुल ध्वस्त हो जाने की संभावना जतायी जा रही है. जिससे यहां के हजारों लोगों की परेशानी बढ़ जायेगी. मालूम हो कि इस पुल से प्रखंड के हजारों लोगों का आवगमन प्रतिदिन होता था. लेकिन अब यहां लोगों को अररिया जिले के कलियागंज, पलासी, जोकीहाट होते हुए किशनगंज मुख्यालय आना पड़ेगा. वर्षों से इस घाट पर चचरी व नाव के सहारे ही लोग आवागमन करते हैं. परन्तु इस घाट पर पुल का भी निर्माण भी वर्षों से अधूरा पड़ा है. टेढ़ागाछ प्रखंड के सभी गांवा के यात्री तथा छात्र-छात्रा के अलावा अररिया जिले के भी काफी लोंगों का आना-जाना लगा रहता है.
नहीं बन सका लौचा ब्रिज, चचरी पुल ही सहारा
लौचा पुल को शीघ्र चालू कराने को लेकर बीते दिनों की गई. हल्ला बोल लौचा पुल संघर्ष समिति की कवायद का असर होता नहीं दिख रहा है. टेढ़ागाछ प्रखंड के लोगों को इस पुल के चालू होने का बेसब्री से इंतजार है. लौचा पुल का निर्माण शीघ्र पूरा कर चालू किए जाने के खातिर जिला मुख्यालय से लेकर विधानसभा तक में आवाज बुलंद की गयी. लेकिन इसका कोई सार्थक परिणाम नहीं दिख रहा है. पुल का निर्माण वित्तीय वर्ष 2010-11 में शुरू होकर वर्ष 2013-14 में पूर्ण होना था. लेकिन पुल के निर्माण अधूरा रहने के कारण बहादुरगंज, टेढ़ागाछ व दिघलबैंक के लोगों को आवागमन में परेशानी हो रही है.
मानसून कई प्रखंड के लिए लाती है आफत
कौल, कनकई, बूढ़ी, मेची, डोक से घिरे किशगनंज जिले के गांवों में मानसून आफत बनकर आती है. इन गांवों के लोग मानसून की दस्तक से ही सिहर उठते हैं. हर साल मानसून उनके लिए मुसीबत का पहाड़ बनकर आता है. वर्षों से आवागमन की समस्या झेल रहे लोग मानसून के पूर्व ही इसकी तैयारी शुरू कर देते हैं. वर्षों से ये लोग आवागमन के लिए चचरी पुल पर आश्रित हैं. यह इनकी नियति बन चुकी है. मानसून की आहट के साथ ही लोग चचरी पुल के निर्माण में जुट जाते थे. आवागमन की समस्या झेल रही बड़ी आबादी की किसी स्तर से सुधि नहीं ली जा रही है. जिले बाढ़ग्रस्त इलाकों में हर साल मानसून आफत बनकर आता है. यह समस्या जिले के अमूमन हर प्रखंड के किसी न किसी गांव में है. शहरी क्षेत्र के निकट बसा सदर प्रखंड क्षेत्र हो या नदियों से घिरा गाछपाड़ा, बालूबस्ती का गांव. सबसे अधिक समस्या महानंदा व कनकई के किनारे बसे गांव में है. डोक की धारा से सटे इलाकों में भी यह समस्या बरकरार है.

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