अनानास की खेती से खुशहाल होंगे किसान: डॉ वीवी झा

किशनगंज : डॉ कलाम कृषि कॉलेज अर्राबारी में मंगलवार को पांच दिवसीय प्रशिक्षण का शुभारंभ हुआ. प्रशिक्षण सत्र का उद्घाटन डॉ कलाम कृषि कॉलेज के प्राचार्य डॉ वी भी झा, भोला पासवान शास्त्री कृषि कॉलेज पूर्णिया के प्राचार्य डॉ पारस नाथ, डीएओ किशनगंज संतलाल प्रसाद साहा, उप परियोजना अधिकारी, आत्मा हरिमोहन मिश्रा ने संयुक्त रूप […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 17, 2019 7:43 AM

किशनगंज : डॉ कलाम कृषि कॉलेज अर्राबारी में मंगलवार को पांच दिवसीय प्रशिक्षण का शुभारंभ हुआ. प्रशिक्षण सत्र का उद्घाटन डॉ कलाम कृषि कॉलेज के प्राचार्य डॉ वी भी झा, भोला पासवान शास्त्री कृषि कॉलेज पूर्णिया के प्राचार्य डॉ पारस नाथ, डीएओ किशनगंज संतलाल प्रसाद साहा, उप परियोजना अधिकारी, आत्मा हरिमोहन मिश्रा ने संयुक्त रूप से दीप प्रवज्जलित कर किया.

वैज्ञानिक तकनीक से अन्नानास की खेती व विपणन कार्यक्रम के तहत यह प्रशिक्षण 35 किसानों को दिया जायेगा. डीएओ संतलाल प्रसाद साहा ने कहा कि अन्नानास की खेती बेहद आसान है. किसान एक साल में दो बार इसे नगदी फसल के रूप में ले सकते हैं. इसका फसल चक्र 90 से सौ दिन का होता है. स्थानीय जलवायु और मृदा की उर्वरक क्षमता के अनुरूप ज्यादातर इसे जनवरी से मार्च व मई से जुलाई के बीच लिया जा सकता है.
अनानास का पौधा कैक्टस प्रजाति का होता है. इसके रखरखाव व प्रबंधन भी बेहद आसान है.खेत में उर्वरक में डीएपी, पोटाश और हल्के सुपर यूरिया की आवश्यकता होती है. यह भी भूमि के उर्वरक क्षमता के हिसाब से दिया जाता है. इसके जर्मप्लाज्म से पौधों की संख्या में भी निरंतर बढ़ोतरी की जा सकती है.
सरकार अन्नानास के बढ़ावा के लिये योजना भी चला रही है. डॉ कलाम कृषि कॉलेज के प्राचार्य डॉ झा ने कहा कि अनानास में क्लोरीन की भरपूर मात्रा होती है. साथ ही ये उच्च एंटीआक्सीडेंट का स्रोत है. इसमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.
पित्त विकारों में विशेष रूप से और पीलिया के लिये यह काफी फायदेमंद है. इसमें प्रचुर मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है. जो हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करता है. एक गिलास जूस के सेवन से दिन भर के लिए आवश्यक मैग्नीशियम के 75 प्रतिशत की पूर्ति होती है.

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