सूत्रों के अनुसार अधिकारियों की मिली भगत से सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना का बंटाधर किया जा रहा है और लाभुकों के बदले सेविका व सहायिका के साथ अधिकारियों को योजना का अच्छा लाभ मिल रहा है. वैसे क्षेत्र में कहीं न कहीं सेविका द्वारा बरती जा रही मनमानी, टेकहोम राशन वितरण में अनियमितता, पका पकाया भोजन में मेनू का पालन नहीं करने की शिकायत बनी रहती है. सर्किल नंबर एक के पौरा पंचायत सहित अन्य सुदूर गांव के केंद्र इसके उदाहरण हंै. पौरा के केंद्र संख्या 249 प्राय: बंद रहने की शिकायत ग्रामीणों द्वारा की जाती है, जबकि केंद्र खुलने के समय में भी तब्दीली की गयी है. मात्र डेढ़ घंटे केंद्र खोलने के लिए भी सेविका तैयार नहीं है.
विभागीय उदासीनता का हाल यह है कि कई केंद्रों पर न तो बोर्ड लगा है और न ही केंद्र के लाभुकों की सूची बोर्ड और न ही भोजन मेनू की तालिका ही अंकित है. इसका उदाहरण गोगरी पंचायत के आंगनबाड़ी केंद्रों के अलावा, राटन, रामपुर तथा सर्किल नंबर एक के पंचायतों में देखी जा सकती है, जहां पंजियों पर ही आगंनबाड़ी का कार्य चल रहा है. यही हाल नपं क्षेत्र के केंद्रों का भी है. नपं के वार्ड 16, 17, 19 स्थित केंद्रों की स्थिति दयनीय है, जहां बच्चों के स्वास्थ्य देखभाल तो दूर उनके साफ सफाई का भी ख्याल नहीं रखा जाता है. वहीं बच्चों नाश्ता व भोजन में भी कोताही बरती जा रही है. अधिकारी ईमानदारी पूर्वक केंद्रों का औचक निरीक्षण करें, तो हकीकत सामने होगी. वसुआ के अंजनी सिंह, गोगरी के नीरज कुमार कहते हैं केंद्र के सफल संचालन व आकलन को लेकर पर्यवेक्षक नियुक्त हैं, जिन्हें केंद्र पर पहुंच कर केंद्र का पर्यवेक्षण करना है. पर बैठे-बैठे ही पर्यवेक्षण कार्य भी हो जाता है. कोई केंद्र पर जाने की जहमत नहीं उठाता है. सीडीपीओ वर्तिका सुमन के अनुसार केंद्र नियमानुसार चल रहे हैं. बोर्ड लगाने के कड़े निर्देश दिये गये हैं.