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तो क्या फैजान गिरोह से अलग होना बना मिथिलेश की हत्या का कारण

फोटो है 11 व 12 में कैप्सन : घटना स्थल पर जांच करती पुलिस व बरामद किये गये खोखे प्रतिनिधि, पसराहाकाली घाट गंगा नदी के किनारे अपराधियों की गोली का शिकार होने वाले मिथिलेश यादव का भी आपराधिक इतिहास रहा है. सूत्रों के अनुसार मिथिलेश पहले फैजान गिरोह का सक्रिय सदस्य था. उसे बिहपुर और […]

फोटो है 11 व 12 में कैप्सन : घटना स्थल पर जांच करती पुलिस व बरामद किये गये खोखे प्रतिनिधि, पसराहाकाली घाट गंगा नदी के किनारे अपराधियों की गोली का शिकार होने वाले मिथिलेश यादव का भी आपराधिक इतिहास रहा है. सूत्रों के अनुसार मिथिलेश पहले फैजान गिरोह का सक्रिय सदस्य था. उसे बिहपुर और कोसी क्षेत्र के घुड़सवारों का कमांडर भी बताया जाता था. फैजान गिरोह का मिथिलेश सक्रिय सदस्य था. उसकी ही योजना पर गिरोह के सदस्य काम किया करते थे. मिथिलेश कुमार यादव के खिलाफ जिले के विभिन्न थानों में हत्या के आधा दर्जन मामलों समेत दो दर्जन से भी अधिक फसल लूट, रंगदारी व अपहरण के मुकदमे दर्ज हैं. मिथिलेश यादव का नाम अपराध की दुनिया में अचानक उस समय चमका, जब वर्ष 2008 में उसने रंगदारी नहीं देने पर अपने साथियों की मदद से एक व्यवसायी की गोली मार कर हत्या कर दी थी. हत्या के उक्त मामले में मिथिलेश जेल भी गया. इसके बाद उसने पीछे मुड़ कर नहीं देखा तथा एक के बाद एक संगीन घटनाओं को अंजाम देता रहा. मिथिलेश आर्म्स एक्ट के मामले में कई बार जेल भी जा चुका था और आर्म्स एक्ट में मिथिलेश को सजा भी हुई थी. एसपी धूरत सायली सबला राम ने बताया कि मारे गये मिथिलेश यादव के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, रंगदारी वसूलने, अपहरण व लूट जैसे संगीन अपराधों के दर्जनों मुकदमे जिले के विभिन्न थानों में दर्ज हैं और मिथिलेश पुलिस की नजर में फरारी भी था.

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