बदहाली का दंश झेल रहा डीएएस कॉलेजसाफ-सफाई की हालत खराबछात्र-छात्राओं की उपस्थिति में आयी कमी फोटो नं. 5,6,7,8 कैप्सन-डीएस कॉलेज की बदहाल स्थिति बयां करती तसवीर प्रतिनिधि, कटिहारजिले के मशहूर कॉलेज के रूप में जाना जाने वाला दर्शन साह महाविद्यालय कुव्यवस्था का दंश झेल रहा है. इस कॉलेज में इंटरमीडिएट से पीजी तक की पढ़ाई के लिए लगभग 10 हजार छात्र-छात्राएं नामांकित हैं. कॉलेज में 84 शिक्षकों का स्वीकृत पद रहते हुए केवल 27 शिक्षकों द्वारा पढ़ाई का कार्य कराया जाता है. कॉलेज में साफ-सफाई का नितांत अभाव है. डीएस कॉलेज में 65 शिक्षकेतर पद के रहते हुए तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय कर्मी की मात्र 22 की संख्या से काम लिया जाता है. अर्थात शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मियों को अत्यधिक कमी के कारण छात्र-छात्राओं की पढ़ाई से लेकर अन्य व्यवस्थाओं के मामले में चरमरायी हुई है. छात्रों की सुविधा नगण्यकॉलेज में छात्राएं नामांकित हैं. लेकिन उनके लिए बना कॉमन रूम हमेशा ताला लटका रहता है. इस असुविधा के चलते छात्राएं कॉलेज में पठन-पाठन के लिए आना पसंद नहीं करती हैं. यदि कॉलेज में कुछ देर ठहरने का मौका आया तो असामाजिक तत्वों एवं मनचले छात्रों के छींटाकशी के शिकार होने का खतरा बना रहता है. क्योंकि कॉलेज परिसर में सुरक्षा के उपाय के रूप में कहीं कोई गार्ड या सुरक्षा प्रहरी मौजूद नहीं हैं और ना कॉलेज की ओर से कोई व्यवस्था है. यहीं हाल कमोबेश छात्रों का भी है. जिसके कारण छात्र कॉलेज आना पसंद नहीं करते हैं. जिसके कारण कॉलेज में छा-छात्राओं की उपस्थित काफी कम होती है.कॉलेज में शिक्षकों की कमीकॉलेज में शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई का काम भी कम ही होता है. विषयवार शिक्षकों की कमी भी बनी हुई है. यदि शिक्षक कॉलेज में आते भी हैं तो कॉलेज आये छात्रों को पढ़ाने में रुचि कम ही लेते हैं. यह भी एक मुख्य कारण है. छात्रों के कॉलेज में आने और पढ़ने की बजाय कोचिंग क्लास कर अपनी पढ़ाई पूरी करने में अधिक रुचि लेते हैं. शिक्षकेतर कर्मियों की कमीकॉलेज में शिक्षकेतर कर्मियों की कमी के कारण छात्र-छात्राओं के कॉलेज एवं विश्वविद्यालय संबंधी कार्यों को कराने में अफरा-तफरी मची रहती है. खासकर फार्म भरने, फीस आदि जमा कराने के समय कशमकश की स्थिति बनी रहती है. कॉलेज में साफ-सफाई कार्य नियमित रूप से नहीं होता है. क्लास रूम के आसपास पान का पीक आदि के कारण छात्र-छात्राओं के मनोदशा पर बुरा प्रभाव पड़ता है. यही हाल शौचालय की साफ-सफाई नहीं होने के कारण शौचालय में दुर्गंध का होना स्वाभाविक है. कॉलेज क्लास रूम में बेंच आदि को व्यवस्थित नहीं रखा जाना भी पढ़ाई के कार्य में बाधा स्वरूप है. पुस्तकालय की व्यवस्थाकॉलेज में एक पुस्तकालय है, जिसमें 45000 पुस्तकें हैं. लेकिन छात्र-छात्राओं के बैठ कर पढ़ने आदि की व्यवस्था नहीं है, बल्कि इसके लिए पुस्तकालय के बरामदा पर ही बेंच लगा कर पढ़ने की सुविधा दी गयी है. कॉलेज में पीने के पानी के मामले में ऑफिस एवं कुछ विभागों में केंट फिल्टर लगा कर पानी की व्यवस्था तो दी गयी है. लेकिन सामान्य रूप से छात्र-छात्राओं को पीने का पानी के लिए चापाकल पर ही निर्भर रहना पड़ता है. जबकि चापाकल से आयरन युक्त पानी का उपयोग करना मजबूरी है. छात्रावास की स्थितिकॉलेज में महिला छात्रावास के अलावे कई अन्य छात्रावास भी है. जिसमें महिला छात्रावास में भवन तो है लेकिन छात्राओं की संख्या बहुत कम है. वहीं पिछड़ा वर्ग छात्रावास की कुव्यवस्था के कारण छात्रों की संख्या भी कम है. जबकि छात्र-छात्राओं के इतर डेरा लेकर रहना पसंद करते हैं. कहते हैं प्राचार्यडीएस कॉलेज के प्राचार्य डॉ पवन कुमार झा से उपरोक्त मामले में बात करने पर कहा कि शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मियों की कमी है. लेकिन जो मौजूद हैं, उन्हीं से काम लिया जाता है. बावजूद इसके कॉलेज में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति नहीं बढ़ पा रही है. क्योंकि छात्रों के अभिभावक छात्रों को कॉलेज भेज कर पढ़ाने में रुचि कम लेकिन कोचिंग क्लासेस के जरिये बच्चों को पढ़ाने में रुचि अधिक लेते हैं. उन्होंने कहा कि कॉलेज परिसर में लड़कियों की सुरक्षा एवं असामाजिक तत्वों से निबटने के लिए एसपी कार्यालय को पत्र लिख कर पुलिस फोर्स की मांग करने जा रहे हैं ताकि पुलिस फोर्स की मौजूदगी में असामाजिक तत्वों पर लगाम लगेगा. साफ-सफाई के मामले में उन्होंने कहा कि उनके कॉलेज में पास तत्काल दो सफाई कर्मी है. जो साफ-सफाई का कार्य करते हैं. इसके अतिरिक्त कॉलेज का संगठन एनएसएस के जरिये भी सफाई का कार्य किया जाता है.
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बदहाली का दंश झेल रहा डीएएस कॉलेज
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