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चार डीआइ के भरोसे 1683 दवा दुकानें

कटिहार : जिले के लोगों को सहज तरीके से दवा उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने निजी दवा दुकान खोलने की व्यवस्था दी है. कई शर्तों के पूरा करने के बाद ही इच्छुक व्यक्ति को दवा दुकान खोलने का लाइसेंस दिये जाने का प्रावधान है. कटिहार जिले में दवा दुकानों की स्थिति ठीक नहीं है. […]

कटिहार : जिले के लोगों को सहज तरीके से दवा उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने निजी दवा दुकान खोलने की व्यवस्था दी है. कई शर्तों के पूरा करने के बाद ही इच्छुक व्यक्ति को दवा दुकान खोलने का लाइसेंस दिये जाने का प्रावधान है. कटिहार जिले में दवा दुकानों की स्थिति ठीक नहीं है.

खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के दवा दुकान में कई गड़बड़झाला है. शर्तों को पूरा करने के बाद दवा दुकान खोलने के लिए लाइसेंस देने तथा मेडिकल दुकानों में गड़बड़ी रोकने के लिए जिला अनुज्ञप्ति पदाधिकारी के नेतृत्व में ड्रग इंस्पेक्टर की व्यवस्था दी गयी है.

सदर अस्पताल स्थित जिला ड्रग लाइसेंस प्राधिकार का कार्यालय खुद आधारभूत संरचना की कमी से परेशान है. इस कार्यालय में एक डीएलए, चार डीआइ, दो लिपिक व एक आदेशपाल का पदस्थापन किया गया है. जबकि नवंबर 2015 तक की रिपोर्ट के अनुसार जिले में 1683 लाइसेंस प्राप्त दवा दुकान संचालित है.

इस व्यवस्था से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में दवा दुकान किस तरह चल रही है. -जांच के नाम पर होती है खानापूर्तियूं तो डीएलए कार्यालय के अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा नियमित दवा दुकानों को जांच करने का दायित्व है, लेकिन जानकारों की माने तो दवा दुकान में जांच के नाम पर सिर्फ औपचारिकता पूरी की जाती है. सूत्रों की माने तो जिले के कई ऐसे दवा दुकान हैं, जहां पर लाइसेंस के मानक के विपरीत दवा की बिक्री की जाती है.

सीधे शब्दों में कहें तो नकली दवा की बिक्री भी होती है. पटना में पिछले दिनों जब्त किये गये नकली दवा के बाद यह बात साफ हो गयी है कि बड़े पैमाने पर नकली दवा को लोगों के बीच पहुंचाया जा रहा है. हालांकि कटिहार में भी विभागीय स्तर पर कई दवा दुकानों में छापामारी कर दवा का सैंपल जांच के लिए भेजा गया है.

अब तक इसकी कोई रिपोर्ट सामने नहीं आयी है. -जेनरिक दवा के जरिये ठगे जा रहे लोगजिले के कई ऐसे दवा दुकान हैं, जहां जेनरिक दवा भी बेची जा रही है. हालांकि डीएलए के अनुसार अंग्रेजी दवा दुकान में जेनरिक दवा भी बेचने की छूट दी गयी है. लोगों का कहना है कि जेनरिक दवा की जो कीमतें लेबल पर अंकित है. उसे काफी कम दरों में बेचने का प्रावधान है, लेकिन दवा दुकानदार जेनरिक दवा भी उसके लेबल पर अंकित कीमत के अनुसार वसूल की जाती है.

फर्मासिस्ट के बगैर भी चलती है दवा दुकानजिले के सदर अस्पताल, पीएचसी, अनुमंडल हॉस्पिटल सहित सरकारी अस्पतालों में फर्मासिस्ट के कई पद खाली हैं, लेकिन कटिहार जिले में मेडिकल दुकानदारों के पास फर्मासिस्ट उपलब्ध है. दरअसल, दवा दुकान के लाइसेंस के लिए फर्मासिस्ट की अनिवार्यता होती है. जिले में कुल 1683 दवा दुकान लाइसेंसी है.

इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितने दवा दुकानदारों के पास वास्तविक रूप में फर्मासिस्ट उपलब्ध है. यद्यपि, विभागीय मिलीभगत से फर्मासिस्ट को लेकर काफी घाल-मेल है. सूत्रों की माने तो एक-एक फर्मासिस्ट के नाम पर कई मेडिकल दुकान चल रहा है. -ग्रामीण डॉक्टर भी बेचते हैं दवाजिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में झोला छाप डॉक्टर भी एलोपैथिक दवा बेचते हैं. सूत्रों की माने तो ऐसे झोला छाप डॉक्टर के घरों में भी दवा का स्टॉक रहता है.

कभी-कभी जानकारी के अभाव में मरीजों की जान भी चली जाती है. -नहीं होती निगरानीनियमित जांच नहीं होने से दवा दुकान की मनमानी चलती रहती है. जिले में मात्र चार डीआइ के जिम्मे 1683 दवा दुकानों की जांच की जिम्मेदारी है. पर्याप्त संसाधन के अभाव में दवा दुकानों के नियमित जांच नहीं हो पा रही है, जिससे दवा दुकानदारों की पौ-बारह रहती है.

वहीं इसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है. -कहते हैं डीएलएडीएलए कमला कुमारी ने बताया कि आधारभूत संरचना के अभाव में कार्य प्रभावित होता है. उनके पास मात्र चार डीआइ हैं. उनसे ही दवा दुकानों की नियमित जांच करायी जाती है. हालांकि कहीं से शिकायत मिलने पर तुरंत कार्रवाई की जाती है. आंकड़ों में दवा दुकान की स्थिति1.

कुल लाइसेंसी दवा दुकान – 16832. थोक विक्रेता – 4183. खुदरा दवा दुकान – 8984. खुदरा व थोक दवा दुकान – 105. प्रतिबंधित दवा दुकान – 263 (ग्रामीण)6. होमियोपैथिक दवा दुकान थोक – 167. खुदरा दवा दुकान – 638. थोक एवं खुदरा – 139. डीएलए – 110. डीआइ – 411. लिपिक – 212. आदेशपाल – 1

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