40 हजार मीट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य-मछली पालकों के लिए शुरू की गयी कई योजनाएं फोटो नं. 4 कैप्सन-मछली पालन.प्रतिनिधि, कटिहारराज्य में नई सरकार बनने के बाद विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाने का निर्देश संबंधित विभाग को दिया गया है. विकास योजनाओं से जुड़े स्थानीय विभागीय अधिकारी वित्तीय वर्ष 2015-16 के लक्ष्य को पूरा करने में जुट गयी है. यूं तो केंद्र व राज्य सरकार के द्वारा विकास की योजनाएं चलायी जा रही है. खासकर कृषि से जुड़ी योजना को लेकर विभागीय स्तर पर दिलचस्पी देखी जा रही है. वहीं जिला मत्स्य विभाग ने भी मत्स्य पालन से जुड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन व चालू वित्तीय वर्ष के लक्ष्य को पूरा करने में जुट गयी है. जिला मत्स्य कार्यालय ने चालू वित्तीय वर्ष में 40 हजार मीट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा है. इस लक्ष्य की प्राप्ति व मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्र व राज्य सरकार ने कई महत्वाकांक्षी योजना भी शुरू किया है. उल्लेखनीय है कि सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद कटिहार जिले के लोगों को आंध्र प्रदेश की मछली पर निर्भर रहना पड़ता है. यद्यपि जिला मत्स्य कार्यालय के अनुसार कटिहार जिले में जितनी मछली की खपत होती है. उतना मछली का उत्पादन आने वाले वर्षों में पूरा हो जायेगा. विभाग के अनुसार कटिहार से उत्पादित अधिकांश बड़ी मछली पश्चिम बंगाल का बाजार पहुंच जाता है. -40 हजार मीट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्यचालू वित्तीय वर्ष में जिला मत्स्य कार्यालय ने 40 हजार मीट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. मछली उत्पादन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए मत्स्य पालकों से संपर्क किया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि पिछले वित्तीय वर्ष यानी 2014-15 में कटिहार जिले में 32 हजार मीट्रिक टन मछली उत्पादन हुआ था. -14 तरह की योजनाओं का मिलेगा लाभचालू वित्तीय वर्ष में मत्स्य पालकों के लिए कई योजनाएं शुरू की गयी है. विभाग के अनुसार विधानसभा चुनाव को लेकर योजनाओं की स्वीकृति नहीं मिल सकी थी. अब सरकार से विभिन्न योजनाओं की स्वीकृति मिल चुकी है. इस वर्ष सरकार ने कटिहार जिले में मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 14 तरह की योजना को मंजूरी दी है. मुख्य योजना के तहत मुख्यमंत्री आद्र जल विकास योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, मत्स्य प्रसार योजना, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति विशेष घटक योजना, एनएफडीपी आदि प्रमुख हैं. मुख्यमंत्री आद्र जल विकास योजना के तहत आद्र जल क्षेत्र में तालाब का निर्माण, नया तालाब का निर्माण, मत्स्य हैचरी का निर्माण, टयूबवेल व पंपसेट का अधिष्ठापन, अनुदानित दर पर नाव का वितरण, अनुदानित दर पर जाल का वितरण, सरकारी जलकरों को जीर्णोद्वार एवं चौकीदार शेड का नियंत्रण आदि कई योजना शामिल है. -योजना के लाभ के लिए पात्रता निर्धारित विभाग द्वारा अलग-अलग योजनाओं के लिए अलग-अलग पात्रता निर्धारित की गयी है. विभागीय सूत्रों की माने तो 60 साल उम्र होने पर पात्रता पूरी करने वाले व्यक्ति के परिवार के अन्य सदस्य को उसका लाभ मिलेगा. विभाग के पास चालू वित्तीय वर्ष का करीब साढ़े तीन माह बचा है. यानी यह वित्तीय वर्ष 31 मार्च 2016 को समाप्त हो जायेगा. विभाग के अनुसार जितना जल्दी लोग आवेदन देंगे, उतना जल्दी ही उसे लाभ दिलाने की प्रक्रिया शुरू की जायेगी. -बड़े पैमाने पर पहुंचती है आंध्र की मछलीकटिहार जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर आंध्र की मछली पहुंचती है. जिले में मछली का जितना खपत है, उस लिहाज से मछली का उत्पादन यहां नहीं होता है. जानकारों की माने तो पहले शहरी क्षेत्रों में आंध्र की मछली बाजार में पहुंचती थी. लेकिन पिछले पांच वर्षों से ग्रामीण क्षेत्र के हाट-बाजार में भी आंध्र की मछली पहुंचने लगी. विभागीय सूत्रों के अनुसार कटिहार जिले में 50 हजार मीट्रिक टन से अधिक मछली की जरूरत है. -कहते है डीएफओजिला मत्स्य पदाधिकारी उमेश कुमार रंजन ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2015-16 में 40 हजार मीट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. मछली पालकों को लाभ पहुंचाने के लिए इस वित्तीय वर्ष में कटिहार जिले में कई योजना शुरू की गयी है. इच्छुक मत्स्य पालक से आवेदन मिलने के बाद उसे लाभ देने की प्रक्रिया शुरू की जायेगी.
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40 हजार मीट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य
40 हजार मीट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य-मछली पालकों के लिए शुरू की गयी कई योजनाएं फोटो नं. 4 कैप्सन-मछली पालन.प्रतिनिधि, कटिहारराज्य में नई सरकार बनने के बाद विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाने का निर्देश संबंधित विभाग को दिया गया है. विकास योजनाओं से जुड़े स्थानीय विभागीय अधिकारी वित्तीय वर्ष 2015-16 के लक्ष्य […]
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